देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी स्थित है मां भगवती की शक्तिपीठ, दर्शन के लिए लगती है भक्तों की लंबी कतार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मां दुर्गा की आराधना का पर्व प्रारंभ हो चुका है। इसके साथ ही सोमवार से नौ दिवसीय व्रत भी प्रारंभ हो गए हैं। लोग मां भगवती को मनाने के नौ दिन तक कठिन साधना करते हैं। नवरात्रि के दिनों में बड़ी संख्या में भक्तगण मां के दर पर जाते हैं। इसी तरह मां भगवती की शक्तिपीठ में भी नौ दिन भक्तों का आना-जाना लगा रहता है और भक्तों की भीड़ केवल देश की शक्तिपीठ तक सीमित न होकर विदेशों तक है। आइए आज हम ऐसे ही मां भगवती की उन शक्तिपीठ के बारे में बात करते हैं, जो विदेशों में स्थित हैं। फिर भी नवरात्र के मौके पर दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
इन देशों में स्थित है मां भगवती की शक्तिपीठ
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में दो शक्तिपीठ है, पहली गुह्येश्वरी और दूसरी मुक्तिधाम शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है। बांग्लादेश में सबसे ज्यादा चार शक्तिपीठ है, सुगंधा देवी मंदिर, चट्टल भवानी मंदिर, करतोयाघाट शक्तिपीठ मंदिर, और जेशोरश्वेरी मंदिर। वहीं पाकिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ मंदिर है। इसके अलावा श्रीलंका में इंद्राक्षी शक्तिपीठ मंदिर और मानस शक्तिपीठ मंदिर तिब्बत में स्थित है।
मनसा देवी शक्तिपीठ- मनसा देवी शक्तिपीठ तिब्बत में स्थित है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इस स्थान पर देवी सती की बाएं हाथ की हथेली गिरी थी। इस शक्तिपीठ की मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से मनवांछित फल की प्राप्त होती है। इस कारण से यहां नवरात्रि के दिनों में भक्तों भारी भीड़ उमड़ती हैं।
जेशोरश्वेरी शक्तिपीठ मंदिर- यह शक्तीपीठ भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में स्थित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। जेशोरोश्वरी नाम का मतलब जेशोर की देवी से है। माना जाता है कि इस मंदिर की निर्माण अनारी ब्राह्मण ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। पिछले साल भारत के प्रधानमंत्री इस मंदिर में 27 मार्च 2021 को गए थे।
हिंगलाज मंदिर- हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान में स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां पर माता सती का सिर गिरा था। नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दर्शनों के लिए आती है। इस मंदिर में नवरात्रि के समय मनोकामना सिद्धि के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
मुक्तिधाम मंदिर - यह शक्तिपीठ नेपाल के गंढक नदी के पोखरा नामक जगह पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर देवी सती के कान का बाहरी हिस्सा कट कर गिरा था। कहा जाता है कि जो भी मां के चरणों में अपनी प्रार्थना लेकर जाता है मां उसकी मनोंकामना पूर्ण करती हैं। नवरात्रि में मां के दर्शन करने का विशेष महत्व है।
Created On :   26 Sept 2022 9:07 PM IST