मां कालरात्रि की आराधना से मिलेगी कष्टों से मुक्ति, जानें पूजा विधि
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के समापन में चार दिन शेष रहे हैं। मां के 6 स्वरूपों की पूजा हो चुकी है। वहीं 02 अक्टूबर रविवार को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की जाएगी। मान्यता है कि, माता की उपासना करने से सभी प्रकार के भूत, प्रेत, पिशाच, राक्षस और नकारत्मक ऊर्जा का नाश होता है। कालरात्रि मां की पूजा करने से शनि ग्रह के विष योग जनित ग्रह दोष दूर होते हैं और मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्ति मिलती है।
कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली माता के रुप में पूजी जाती है। इनकी पूजा से संपूर्ण मनोकामना पूर्ण होती है। कालरात्रि माता को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यु-रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई रूपों से जाना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालरात्रि के ही नाम हैं। आइए जानते हैं इनके स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...
ऐसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यनत भयानक है। माता का रंग अंधकार की तरह एक दम काला है। बाल लम्बे और बिखरे हुए हैं। गले में मुंड माला है। मां के तीन नेत्र हैं। माता रानी की चार भुजाएं हैं, एक हाथ से मां वर प्रदानम करती हैं, दूसरा हाथ अभयमुद्र में है, तीसरे हाथ में लोहे का कांटा और चौथे हाथ में खड्ग ( कटार) है। माता का वाहन गधा है।
मां कालरात्री का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः |
पूजा विधि
- नवरात्रि के सातवें दिन सुबह स्नानादि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मां कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अर्चना करें।
- देवी को अक्षत्, धूप, गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का नैवेद्य आदि विधिपूर्वक अर्पित करें।
- अब दुर्गा आरती करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को दान दें, इससे आकस्मिक संकटों से आपकी रक्षा होगी।
- सप्तमी के दिन रात में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है।
डिस्क्लेमर - इस आलेख में दी गई जानकारी अलग-अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। भास्कर हिंदी यह दावा नहीं करता कि यह पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशात्री /डॉक्टर/अन्य विशेषज्ञों) की सलाह जरुर लें।
Created On :   1 Oct 2022 1:47 PM IST