कूष्मांडा की भक्ति से रोग होंगे दूर, मिलेगा उत्तम स्वास्थ्य, इस मंत्र का करें जाप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के तीन दिन पूर्ण हो चुके हैं। वहीं देवीभागवत पुराण के अनुसार इस दिन देवी के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इस बार मां कूष्मांडा की पूजा 29 सितंबर, गुरुवार को की जा रही है। ऐसा माना जाता है कि, इस सृष्टी की रचना से पहले जब चारो तरफ अंधकार छाया हुआ था, तब मां ने अपने हाथों से ब्रह्मांड की रचना कर अंधकार को दूर कियाए इसलिए माता को आदिशक्ति व आदिस्वरूपा भी कहा जाता है।
मां की आठ भुजाएं हैं, इसलिए मां अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा और आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है।
महत्त्व
माता का यह स्वरूप देवी पार्वती के विवाह के बाद से लेकर संतान कुमार कार्तिकेय की प्राप्ति के बीच का है। इस रूप में देवी संपूर्ण सृष्टि को धारण करने वाली और उनका पालन करने वाली हैं। घर परिवार चलाने वालों के लिए इस देवी की पूजा बेहद काल्याणकारी है। माता कूष्मांडा की भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार कूष्मांडा की पूजा से ग्रहों के राजा सूर्य से उत्पन्न दोष दूर होते हैं। इसके साथ ही व्यापार, दांपत्य, धन और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
पूजा विधि
⦁ मां कूष्मांड का पूजन करते समय हरे रंग के वस्त्रों को धरण करना चाहिए।
⦁ मां का पूजन शुरू करने से पहले हाथों में पूष्प लेकर माता का ध्यान कर प्रणाम करें।
⦁ कलश के सामने दिपक प्रज्वलित करें और चुनरी चढा कर, मां का तिलक करें।
⦁ मां कूष्मांड के मंत्र का 108 बार जप करके फिर मां के नाम का श्लोक व कूष्मांड स्त्रोत पाठ कर आरती करें।
⦁ मां कूष्मांड को पूजन के दौरान हरी इलाइची, सौंफ अर्पीत करें और कुम्हड़े का पेठे का भोग लगाएं।
इस मंत्र का करें जाप
देवी कूष्मांडा को लाल पुष्प अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उनके पूजन में इन्हें अवश्य अर्पित करें और फल मिष्ठान का भोग लगाएं। कपूर से आरती करें और इस मंत्र का जाप करें।
‘सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥’
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Created On :   28 Sept 2022 5:16 PM IST