शनि प्रदोष व्रत: इस विधि से करें शिवजी की पूजा, जानें क्या है इस व्रत का महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में सालभर में कई सारे व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं। इनमें से एक है प्रदोष व्रत, जिसका काफी महत्व है। यह व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो कि दिन के हिसाब से अलग अलग नाम से जाना जाता है। शनिवार को आने वाले प्रदोष व्रत और शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है जो कि 12 दिसंबर शनिवार को है।
मान्यता है कि यह व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं। शनि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को करने के विधान है। कहा जाता है कि शनि त्रयोदशी शनि देव की जन्म तिथि है। इसलिए इस दिन शनि से संबंधित उपाय भी किए जाते हैं। पुराणों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व...
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पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद भगवान शिव, पार्वती और नंदी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
- इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- शाम के समय जब सूर्यास्त होने वाला होता है उस समय सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें।
- विभिन्न फूलों, बेलपत्रों को चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करें।
- शिवजी की पूजा के बाद आरती, भजन करें। इससे शिवजी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
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ये कार्य भी करें
- शनिवार होने की वजह से इस दिन व्रती को शनि महाराज के निमित्त पीपल में जल देना चाहिए।
- शनि स्तोत्र और चालीसा का पाठ करना भी इस दिन शुभ रहता है।
- इस दिन पीपल के पेड़ को छूकर 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करने से शनि महाराज सभी कष्ट को दूर करते हैं।
- इस दिन उपवास रखमे और पीपल का एक पत्ता शिवलिंग पर चढ़ाना काफी कल्याणकारी माना जाता है, इससे आपको नौकरी और व्यवसाय में लाभ मिलता है।
- इस दिन काली चीजें जैसे जूता, सरसों, काली उड़द दाल आदि दान करना काफी शुभ माना जाता है।
Created On :   11 Dec 2020 2:54 PM IST