साल की आखिरी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा, जानें इसके लाभ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पौष माह के कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन सफला एकादशी का व्रत किया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये साल की आखिरी एकादशी है, जो कि इस वर्ष 30 दिसंबर, गुरुवार को है। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि, एकादशी व्रत करने से श्री हरी की कृपा हमेशा बनी रहती है। यदि आप किसी काम की शुरुआत कर रहे हैं और कठिन परिश्रम करने के बाद भी आपको उसमें सफलता नहीं मिल पा रही है तो यह व्रत आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
मान्यता है कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से साल की सभी एकादशी के तप का फल मिलता है। सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन की जाती है। पूजा के बाद ब्रह्माणों को दान देना की भी मान्यता है। जानिए इस व्रत का महत्व और पूजा विधि...
शादी मुहूर्त 2022: नए साल में खूब बजेगी शहनाई, यहां जानें अपनी शादी का मुहूर्त
पूजा विधि
- प्रातः काल या सायं काल श्री हरि का पूजन करें।
- मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर श्री हरि का पूजन करें।
- श्री हरि को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें।
- चाहें तो एक वेला उपवास रखकर, एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें।
- शाम को आहार ग्रहण करने के पहले जल में दीपदान करें।
इन मंत्रों के साथ करें भगवान विष्णु की पूजा, जीवन की बाधाएं होंगी दूर
खुशहाल जीवन के लिए करें ये उपाय
श्री कृष्ण को ऋतु फल अर्पित करें। 108 बार "ॐ नमो भगवते वायुदेवाय" का जाप करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। ऋतु फल का सेवन करने से रोगी व्यक्ति स्वस्थ हो सकता है। श्री हरि और मां लक्ष्मी जी की संयुक्त रुप से पूजा करें। मां लक्ष्मी को सौंफ और श्री कृष्ण को मिसरी अर्पित करने के बाद "ॐ ह्नीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नम:" मंत्र का जाप करें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि सौंफ और मिसरी को एक साथ रखें। इनको आप रोज सुबह ग्रहण कर सकते हैं। संतान प्राप्ति के लिए सफला एकादशी के दिन श्री कृष्ण को पंचामृत चांदी के पात्र में अर्पित करें इसके बाद 108 बार "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जाप करें। इसके बाद पंचामृत को प्रसाद के रुप में सेवन करें।
Created On :   29 Dec 2021 5:34 PM IST