सफला एकादशी: जानें इसका महत्व, इन बातों का रखें ध्यान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पौष माह के कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन सफला एकादशी का व्रत किया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये साल की आखिरी एकादशी होगी। जो कि इस वर्ष 22 दिसंबर, रविवार को है। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में एकादशी की तिथि को बेहद शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि माना गया है। इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस एकादशी से जुड़ी कुछ खास बातें...
मान्यता
मान्यता है कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से साल की सभी एकादशी के तप का फल मिलता है। सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन की जाती है। पूजा के बाद ब्रह्माणों को दान देना की भी मान्यता है। इस दिन कई लोग पूरी रात जागरण करते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वालों को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। एकादशी का व्रत कई पीढ़ियों का पाप दूर होता है।
महत्व
ब्रह्मांडा पुराण में धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच बातचीत के रूप में वर्णित है। हिंदू ग्रंथों के मुताबिक यह कहा जाता है कि 100 राजसूया यज्ञ और 1000 अश्वमेधि यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते जितना सफला एकदशी का व्रत रख कर मिल सकता हैं। सफला एकदशी का दिन एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से दुख दूर हो जाते है और भाग्य खुल जाता है। सफला एकदशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं।
ऐसे करें व्रत
सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करना चाहिए। संकल्प के बाद धूप, दीप, फल आदि से भगवान विष्णु पूजन करना चाहिए। रात में भी विष्णु के नाम का पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए। द्वादशी तिथि के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को अन्न और दक्षिणा देकर इस व्रत का पारण करना चाहिए।
एसे करें श्री हरि की उपासना
- प्रातः काल या सायं काल श्री हरि का पूजन करे
- मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर श्री हरि का पूजन करें
- श्री हरि को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें
- चाहें तो एक वेला उपवास रखकर, एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें
- शाम को आहार ग्रहण करने के पहले जल में दीपदान करें
इन बातों का रखें ध्यान
- शास्त्रों में सभी 24 एकादशियों में चावल खाने को वर्जित बताया गया है, इसलिए इस दिन भूलकर भी चावल का सेवन न करें।
- एकादशी के दिन खान-पान और व्यवहार में संयम और सात्विकता का पालन करना चाहिए।
- एकादशी के दिन संयम के साथ पति-पत्नी को ब्रह्राचार्य का पालन करना चाहिए।
- इस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनना चाहिए।
- इस दिन किसी को कठोर शब्द नहीं कहना चाहिए। लड़ाई-झगड़ा से बचना चाहिए।
- इस दिन न तो क्रोध करना चाहिए और न ही झूठ बोलना चाहिए।
Created On :   21 Dec 2019 4:18 PM IST