रूप चौदस 2020: जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, इन बातों का रखें ख्याल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार धनतेरस के बाद और दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली मनाई जाती है। इसे काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार आज 13 और 14 नवंबर को मनाया जा रहा है। ऐसा तिथियों में असमंजस के चलते हुआ है।
इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान करने के बाद शाम को मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है और घर के बाहर दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई जाती है। क्या है इस पूजा का महत्व और मान्यता और कैसे करें पूजा आइए जानते हैं...
इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें क्या है इस त्यौहार का महत्व
तिथि और स्नान का शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 13 नवंबर, शाम 05 बजकर 59 मिनट से
तिथि समाप्त: 14 नवंबर, दोहपर 02 बजकर 17 मिनट तक
अभ्यंग स्नान का मुहूर्त: 14 नवंबर, सुबह 05 बजकर 23 मिनट से
सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक।
कुल अवधि: 01 घंटे 20 मिनट।
मान्यता
माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति पूजा और दीपक जलाता है उस व्यक्ति को जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
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महत्व
नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क के यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण भी नरक चतुर्दशी के दिन दीनदान और पूजा का विधान है।
रखें ये सावधानी
इस दिन घर के सबसे बड़े सदस्य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए। इसके बाद इस दीये को पूरे घर में घुमाएं और फिर अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं। घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को न देखें।
Created On :   13 Nov 2020 10:29 AM GMT