Rang Panchami 2020: जानें 'पंचमी' पर क्यों मनाया जाता है रंगों को ये त्यौहार, क्या है इसका महत्व?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। होली के पांचवें दिन यानि चैत्र कृष्ण पंचमी को देशभर में रंगपंचमी का पर्व बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। होली की ही तरह रंगपंचगी के दिन भी एक दूसरे के साथ रंग खेला जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं व राधा कृष्ण जी को भी अबीर लगाया जाता है। रंगों से भरा यह पर्व खासतौर पर मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस बार रंग पंचमी 14 मार्च यानी कि आज मनाई जाएगी। यहां बता दें कि रंग पंचमी को होली महोत्सव का समापन माना जाता है।
रंग पंचमी का यह दिन देवी देवताओं को समर्पित होता है। इस दिन वातावरण में उड़ने वाले रंग को लेकर यह भी माना जाता है कि उड़ते हुए गुलाल से व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक गुण प्रवेश करते हैं। भगवान भी आसमान में रंगों के जरिए अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। मान्यता अनुसार अगर इस दिन कोई पूरे तन मन से व्रत रखे और पूजा पाठ करे तो देवी देवता भक्त को आशीर्वाद देते हैं। यही नहीं आज के दिन व्रत रखने से बड़े दोष मिटाए जा सकते हैं।
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रंग पंचमी मुहूर्त
रंग पंचमी शुक्रवार, 13 मार्च, 2020 को
पंचमी तिथि प्रारंभ – 13 मार्च, 2020 सुबह 08:50 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त – 14 मार्च, 2020 सुबह 06:16 बजे तक
महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार तामसिक और राजसिक गुणों पर सत्त्वगुण (पवित्रता) की जीत और विजय का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि आध्यात्मिक विकास के मार्ग में आने वाली बाधाएं जल्द समाप्त हो जाएंगी। रंग पंचमी त्योहार पांच प्रमुख तत्वों को सक्रिय करने में मदद करता है। इन पांच प्रमुख तत्वों में हवा, आकाश, पृथ्वी, जल और प्रकाश शामिल हैं। पुराणों के अनुसार, मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पंच तत्त्वों से मिलकर बना हुआ है।
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग के प्रारंभ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था। धूलि वंदन से आशय ये है कि "उस युग में श्री विष्णु ने अलग-अलग तेजोमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया। अवतार निर्मित होने पर उसे तेजोमय, अर्थात विविध रंगों की सहायता से दर्शन रूप में वर्णित किया गया है। होली ब्रह्मांड का एक तेजोत्सव है। ब्रह्मांड में अनेक रंग आवश्यकता के अनुसार साकार होते हैं और संबंधित घटक के कार्य के लिए पूरक व पोषक वातावरण की निर्मित करते हैं।
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यहां पुरानी परंपरा
देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार लाखों लोग रंग पंचमी खेलते है। यहां पर लोग दिन में रंगारंग गेर और फाग यात्रा निकाली जाती है। इसमें हजारों किलो गुलाल और पानी से लोगों को नहलाया जाता है। इस रंगीन परंपरा में ना सिर्फ इंदौरा से लोग आते हैं बल्कि बाहर से भी लोग शामिल होते हैं। इसके बाद लोग पूरी-श्रीखंड का भी मजा लेते हैं।
वहीं कानपुर में होली दहन के बाद से धुलेंडी से रंग खेलने का सिलसिला शुरू होता है। यह करीब एक हफ्ते तक चलता है। जबकि महाराष्ट्र में रंग पंचमी का नजारा कुछ और ही होता है। इस दिन मछुआरों की बस्ती में खूब में नाच-गाना होता है।
Created On :   12 March 2020 8:22 AM IST