जानें इस दिन का महत्व, इस विधि से करें श्री कृष्ण की पूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्व है। अलग अलग माह में अमावस्या का महत्व भी विशेष होता है। इनमें भाद्रपद माह की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कई स्थानों पर इसे कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह अमावस्या 06 सितंबर, 2021 यानी कि सोमवार को है। इस दिन किए गए दान-पुण्य के महत्व का अति विशिष्टता के साथ किया गया है।
हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने का विधान है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन अपने घर के पितृ देवताओं को याद करके उनके निमित्त दान आदि करते हैं। उनके घर-परिवार से पितृदोष खत्म हो जाता है। बता दें कि, अमावस्या को भगवान श्री कृष्ण को समर्पित माना जाता है।
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महत्व
भाद्रपद माह की अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिए कुश (एक प्रकार की घास) एकत्रित की जाती है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि धार्मिक कार्यों में या विशेष रूप से श्राद्ध कर्म आदि करने में उपयोग की जाने वाली घास यदि इस दिन एकत्रित की जाए तो वो वर्षभर तक पुण्य फलदायी होती है।
कुश एकत्रित करने के कारण ही इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में वैसे इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। कहा जाता है इस अमावस्या पर उखाड़ा गया कुश एक वर्ष तक प्रयोग किया जा सकता है। हिन्दू धर्म शास्त्र में कुश को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना गया है।
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पूजा विधि
- इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व है।
- हालांकि नदी या सरोवर पर जाना संभव ना होने पर घर पर ही गंगाजल की कुछ बूंदें नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इस दिन पितर संबंधित कार्य करना चाहिए।
- पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की पूजा करें।
- सोमवार का दिन होने के कारण इस दिन भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।
Created On :   6 Sept 2021 4:02 PM IST