निर्जला एकादशी 2021: इस व्रत को करने से मिलेगा समस्त एकादशी का फल, जानें पूजा की विधि

Nirjala Ekadashi 2021: Know about Nirjala Ekadashi Worship Method and Muhurat
निर्जला एकादशी 2021: इस व्रत को करने से मिलेगा समस्त एकादशी का फल, जानें पूजा की विधि
निर्जला एकादशी 2021: इस व्रत को करने से मिलेगा समस्त एकादशी का फल, जानें पूजा की विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व है और यह माह में दो बार आती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इसे भीमसेन, पांडव और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जैसा की नाम से पता चलता है इस व्रत को व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु पानी भी नहीं पीते हैं। निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। निर्जला एकादशी इस बार निर्जला एकादशी पर शिव योग के साथ सिद्धि योग भी है।

इस बार यह व्रत 21 जून, सोमवार को है। खास बात यह कि इस दिन शिव योग के साथ सिद्धि योग बन रहा है। इस एकादशी की विशेष बात यह कि इस दिन व्रत करने से आपको समूची एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि के बारे में...

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निर्जला एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ:  20 जून, रविवार शाम 4 बजकर 21 मिनट से  
एकादशी तिथि समापन: 21 जून, सोमवार दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक

व्रत की विधि
- इस व्रत को कोई भी जातक कर सकता है यानी कि यह व्रत स्त्री और पुरुष दोनों को ही करना चाहिए। 
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।
- साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें। 
- घर में पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।
- पूजा में पीले फूल, पंचामृत और तुलसी पत्र जरुर रखें।

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- भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
- अब भगवान और मां लक्ष्मी की आरती करें। 

ध्यान रखें ये बात
इस व्रत में पानी पीना वर्जित है। केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए मुख में जल डाल सकते हैं। इसके अलावा जल पीने से व्रत टूट जाता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को दृढ़तापूर्वक नियम पालन के साथ निर्जल उपवास करना चाहिए। सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए।

Created On :   20 Jun 2021 9:36 AM GMT

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