महाशिवरात्रि: 117 साल बना ये विशेष योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं। इस साल शिवरात्रि का पर्व आज मनाया जा रहा है। वैसे तो हिंदू पंचांग में इस दिन को बेहद खास माना गया है, लेकिन इस बार यह पर्व और भी अधिक खास है। दरअसल इस महाशिवरात्रि को सैंकड़ों सालों बाद ऐसा योग बन रहा है जोकि काफी महत्वपूर्ण है। इस बार 117 साल बाद शुक्र और शनि का योग बन रहा है।
बता दें कि महाशिवरात्रि का पर्व देश भर के अलग-अलग शिवालयों में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन चारों धामों सहित देश भर के प्रमुख मंदिरों में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
महादेव की पूजा के लिए सोमवार क्यों है विशेष दिन? जानें कारण
पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: 21 फरवरी की शाम को 5 बजकर 20 मिनट से
समापन: 22 फरवरी को 7 बजकर 2 मिनट तक
रात्रि पहर का शुभ मुहूर्त: 21 फरवरी की शाम को 6 बजकर 41 मिनट से
समापन: रात को 12 बजकर 52 मिनट तक
हालांकि इस दिन श्रवण नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से श्रद्धालु किसी भी समय शिवजी की पूजा करके पुण्य लाभ पा सकते हैं। सुबह बजकर 8 बजकर 19 मिनट से 9 बजकर 44 मिनट तक लाभ योग होने से इस समय पूजन करना लाभदायी होगा। इसके बाद 11 बजकर 9 मिनट तक अमृत काल रहेगा।
शिव पूजा का महत्व
भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होकर उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था। मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।
पूजा विधि
शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो, मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्ष माला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं नमस्कार करना चाहिए। तत्पश्चात उसे व्रत का संकल्प करना चाहिए।
भक्ति: मंगलवार को करें करें ये कार्य, मिलेगी हनुमान जी की कृपा
इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि
हिन्दू मान्यता के अनुसार से प्रत्येक महीने शिवरात्रि मनाई जाती है यह शिवरात्रि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, जिसे प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है। यही जब श्रावण महीने में मनाया जाता है कि इसे बड़ी शिवरात्रि कहा जाता है। लेकिन फाल्गुन महीने में मनाई जाने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।
शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है।
Created On :   17 Feb 2020 10:38 AM IST