साल की पहली शनैश्चरी अमावस्या का क्या है महत्व? जानें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। वहीं इस साल की पहली शनैश्चरी अमावस्या 21 जनवरी दिन शनिवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्यलाभ प्राप्त होता है। ऐसे में आज बड़ी संख्या में गंगा नदी में स्नान करने पहुंचे हैं। वाराणसी स्थित गंगा घाट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद पूजा-अर्चना की।
बता दें कि इस तिथि पर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में झंडा लगाएं। भगवान शनि पर तेल अर्पित करें। काला तिल, काली उड़द, काला कपड़ा दान करें। शिवलिंग पर काला तिल, दूध और जल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
महत्व
ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से मौनी अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह तिथि चुपचाप मौन रहकर ऋषि मुनियों की तरह आचरण पूर्ण स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही मौनी अमावस्या कहलाती है। माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है। इसलिए माघ स्नान के लिये माघी अमावस्या यानि मौनी अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है।
पितृ दोष से मुक्ति
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि पितृ दोष है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिए भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है। इसलिए इस मौनी अमावस्या का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है।
मन की शुद्धि
पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं। विशेषकर मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान का विशेष महत्व का माना गया है। मौनी अमावस्या का यह व्रत व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में रखना सिखाता है। शास्त्रों में वाणी को नियंत्रित करने के लिए इस दिन को सबसे शुभ बताया गया है। मौनी अमावस्या को स्नान के बाद मौन व्रत रखकर जाप करने से मन की शुद्धि होती है।
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Created On :   19 Jan 2023 4:49 PM GMT