जानें महाकालेश्वर मंदिर में किन-किन चीजों से की जाती है महाकाल की भस्म आरती
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। भगवान शिव के 12 ज्योतर्लिंगों में से एक उज्जैन में स्थिति महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती बहुत लोकप्रिय है। भस्म आरती को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते है। बता दें कि प्रत्येक सोमवार को होने वाली इस भस्म आरती के समय मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। तीर्थ नगरी उज्जैन में विराजमान महाकाल को राजा भी कहा जाता है। उज्जैन में स्थिति महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का जिक्र शिव पुराण समेत कई अन्य ग्रंथों में भी मिलता है।
जानें किस तरह से होती है भस्म आरती
सबसे पहले भगवान शिव की प्रतिमा को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उनका पंचामृत( दूध, दही, शहद, घी और गन्ने के रस से बने द्रव) से अभिषेक किया जाता है। स्नान के बाद महाकाल को फूल, भस्म और माला से बेहद सुंदर रूप से श्रृंगार किया जाता है। जिसके बाद महाकाल को रुद्राक्ष से बनी माला अर्पित किया जाता है। महाकाल का यह श्रृंगार बेहद ही मनमोहक होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भस्म अरती होने के बाद बाबा महाकाल निराकार से साकार अवतार में भक्तों को दर्शन देते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जिसका मुख दक्षिण में स्थिति है। बता दें कि दक्षिण दिशा का स्वामी यमराज है इसलिए भी इस ज्योतिर्लिंग का अपना महत्व है। यमराज यानि काल का स्वामी इसलिए हम सभी लोग इस ज्योतिर्लिंग को महाकाल के नाम से भी जानते हैं।
उज्जैन के लोग महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान महाकाल को अपना राजा मानते है। यही नहीं धार्मिक मान्यतओं के अनुसार भक्त कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले महाकाल को निमंत्रण देते है। ऐसा करने से काम में आने वाली विपदा समाप्त हो जाती है और आयोजन पर भगवान शिव भक्तों को अपना आशीर्वाद देने आते हैं। गौरतलब है कि महाकालेश्वर मंदिर भस्म आरती का काम निर्वाणी अखाड़ा के लोग करते हैं।
Created On :   10 Oct 2022 10:57 PM IST