पवित्र नदी में स्नान करने पर मिलेगी हजार बार गंगा स्नान का फल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक पूर्णिमा का पुराणों में अत्यधिक महत्व है। इसका उल्लेख पद्म पुराण, स्कंद पुराण आदि ग्रंथों मे मिलता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस माह के संबंध में कहा है कि पौधे में तुलसी, मासों कार्तिक, दिवसों में एकादशी और तीर्थों में द्वारका मेरे हृदय के सबसे निकट है। इस माह में किए गए स्नान का फल, एक हजार बार किए गए गंगा स्नान, सौ बार माघ स्नान के समान है। इस वर्ष 8 नवंबर मंगलवार को मनाई जा रही है।
ऐसा भी कहा जाता है कि जो फल कुंभ में प्रयाग में स्नान करने से मिलता है वही फल कार्तिक माह में भोर से पूर्व स्नान का मिलता है। एक माह तक किए गए पुण्य के फल का दिन होता है कार्तिक पूर्णिमा। इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था जिसकी वजह से उनका नाम त्रिपुरारी पड़ा और इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना गया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन एकादशी में तुलसी विवाह के बाद उनकी विदाई होती है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि प्रलय काल में भगवान विष्णु ने वेदों तथा सृष्टि की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था।
इस दिन मछली को दाने डालने व दान का अत्यधिक महत्व है। दीपदान, गंगा स्नान या किसी भी पवित्र नदी में स्नान व गरीबों को दान व भोजन कराने का भी अत्यधिक महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए स्नान से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और समृद्धि व धनवान होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। साथ ही सांसारिक पापों से छुटकारा मिलता है। इसी दिन देवता दिवाली मनाते हैं। जिसकी वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है।
Created On :   7 Nov 2022 5:42 PM IST