कार्तिक मास: इन बातों का रखें ध्यान, जानें इस माह में क्या करें क्या ना करें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में हर माह का एक अलग महत्व होता है। माह में आने वाले व्रत और त्यौहार कई तरह से विशेष होते हैं। इनमें से एक है कार्तिक माह, जिसमें दीवाली से लेकर भाईदूज और कई सारे व्रत व त्यौहार आते हैं। इन व्रत और त्यौहारों को खास तरीके से मनाया जाता है। माना जाता है कि कार्तिक मास में तामसिक भेजन नहीं करना चाहिए। इस माह में नित्य स्नान करें और हविष्य ( जौ, गेहूं, मूंग, तथा दूध-दही और घी आदि) का एक बार भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं।
पुराणों के अनुसार, इस मास को चारों पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। स्वयं नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुणसम्पन्न माहात्म्य के सन्दर्भ में बताया है। ज्योतिषों के अनुसार इस माह में कुछ परहेज के साथ उपाय भी हैं, आइए इनके बारे में जानते हैं...
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इस माह में क्या करें क्या ना करें
- कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।
- वैसे तो हर महीने तुलसी का सेवन व पूजा करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना अधिक माना गया है।
- कार्तिक मास में सबसे महत्वपूर्ण काम दीपदान बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
- भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं। इसलिए इस माह में जमीन पर सोना अच्छा माना गया है।
- कार्तिक महीने में द्विदलन (फलीदार चीजें व दालें) अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।
- व्रती (व्रत करने वाला) को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें। अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें आदि।
- कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
Created On :   7 Nov 2020 10:10 AM GMT