कार्तिक मास: जानें हिन्दू धर्म में क्यों माना गया है इस सबसे उत्तम माह
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में हर एक माह का अपना अलग महत्व है। इसी प्रकार कार्तिक को सबसे उत्तम और पवित्र माना गया है। इन दिनों कार्तिक माह चल रहा है जो 21 नवंबर तक रहेगा। पुराणों के अनुसार इस मास में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में निवास करते हैं। इसलिए कार्तिक के महीने में स्नान दान और उपवास करने से सभी कष्टों से मुक्ति बहुत आसानी से मिल जाती है।
के अनुसार यह माह विशेष है, क्योंकि इस माह भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। सकंद पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध भी इसी माह में किया था, इसके लिए इसका नाम कार्तिक पड़ा। इस मास में पवित्र नदियों में स्नान, दान, उपासना, हवन आदि करने के विशेष महत्व है।
कार्तिक मास: इन बातों का रखें ध्यान, जानें इस माह में क्या करें क्या ना करें
तुलसी पूजा
कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। तुलसी पूजा से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है। यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है। तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है। तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीया भी जलाया जाता है।
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महत्व
कार्तिक महीने में घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्ममूहुर्त में स्नान करती हैं। यह स्नान विवाहित तथा कुंवारी दोनों के लिए फलदायी होता है। वहीं इस महीने में दीपदान का भी खास विधान है। यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है। यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है।
Created On :   8 Nov 2020 5:23 PM IST