कामिका एकादशी: इस व्रत के बाद किसी अन्य पूजा की नहीं होती आवश्यकता
डिजिटल डेस्क। हिन्दू धर्म में जितना महत्व त्यौहारों का है, उतना ही महत्व व्रत का भी है, जो कि किसी न किसी भगवान से जुड़े होते हैं। इनमें से एक है श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसे ‘कामिका एकादशी’ कहा जाता है। अन्य एकादशियों की तरह इस एकदशी का भी अपना ही खास महत्व होता है। इस बार यह एकदशी 28 जुलाई को मनाई गई। शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य रात्रि में जागरण करके न तो कभी यमराज का दर्शन करता है और न ही कभी उसे नरकगामी होना पड़ता है।
मान्यता
सनातन धर्म में साल भर में 24 एकादशी होती हैं। सभी एकादशियों में नारायण के समान फल देने की शक्ति होती है। इस व्रत को करने के बाद और कोई पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती। वहीं बात करें कामिका एकादशी की तो इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।
व्रत नियम
कामिका एकादशी व्रत का तीन दिन का नियम होता है। इस एकादशी के व्रत की विधि दशमी से ही शुरू हो जाती है। ऐसे में दशमी, एकादशी और द्वादशी को कामिका एकादशी के नियमों का पालन होता है। इस व्रत के दौरान यानी तीन दिनों तक मांस और मदिरा का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए। तीन दिनों तक जातकों को चावल भी नहीं खाने चाहिए। इसके साथ ही लहसुन, प्याज और मसुर की दाल का सेवन भी नहीं किया जाना चाहिए। जातक को वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए।
ऐसे करें पूजा
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान करें और फिर विष्णु भगवान की पूजा करें। पूजा धूप, दीप, फल, फूल एवं नैवेद्य से करना अति उत्तम फल प्रदान करता है। व्रत रखने वाले को एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। भगवान विष्णु के मन्त्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का यथासंभव जप करें एवं इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ अवश्य करें।
Created On :   26 July 2019 5:04 AM GMT