इस दिन करें काल भैरव की आराधना, नकारात्मक शक्तियों से मिलेगी मुक्ति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर का दूसरा माह वैशाख 7 अप्रैल से शुरू हो चुका है। इस माह में वैसे तो कई सारे व्रत आते हैं, फिलहाल कालाष्टमी आने वाली है। इस माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अप्रैल, गुरुवार को पड़ रही है। भगवान भैरव के भक्तों के लिए कालाष्टमी व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान भैरव अपने भक्तों की हर विपत्ति से रक्षा करते हैं।
बात करें काल भैरव के स्वरूप की तो, उनका एक मात्र बटुक भैरव स्वरूप ही सौम्य है। जहां-जहां पर शक्तिपीठ हैं, वहां-वहां पर काल भैरव भी मौजूद हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव देवी की सुरक्षा में रहते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...
शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि शुरू: 13 अप्रैल, गुरुवार 03 बजकर 44 मिनट
अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अप्रैल, शुक्रवार रात 01:34 बजे तक
ऐसे करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र पहनें।
- पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन काल भैरव की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के दौरान भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती की पूजा का भी इस दिन विधान है।
- काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का इस्तेमाल करें
- भैरव जी की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
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Created On :   12 April 2023 3:36 PM IST