पर्व: भाईदूज के साथ आज है चित्रगुप्त की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म से जुड़े कैलेंडर और पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। वहीं रंगोत्सव के दूसरे दिन भाईदोज (भाईदूज) का त्यौहार मनाया जाता है। भाईदोज के साथ ही इस दिन चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है, जो इस बार 11 मार्च 2020 दिन बुधवार यानी कि आज है।, इस भाईदोज पर बहनें अपने भाई की कुशलता एवं लंबी आयु की कामना के लिए उनका पूजन करती हैं।
इस प्रथा को एक पौराणिक कथा से भी जोड़ा गया है। इस दिन स्वयं यम की बहन यमुना ने अपने भाई से वर मांगा था कि जो भी भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करता है उसको मृत्यु का भय ना रहे। होली भाई दूज पर तिथियों की बात करें तो द्वितीय तिथि 10 मार्च को शाम 7.25 से शुरू हो रही है और इसका समापन 11 मार्च को दिन में 3.30 बजे होगा।
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पूजन विधि
भाईदूज के दिन पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु एवं गणेश की पूजा शुभ फलदायी मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन गोबर के दूज बनाए जाते हैं। इनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। बहनें दूज से भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। एवं भाई के शत्रु एवं बाधा का नाश होने की प्रार्थना करती हैं। वैसे कई स्थान पर भाई को चौकी/ पीड़ा पर बैठाकर बहनें उनके माथे पर तिलक लगाती है। आरती उतारकर उनकी पूजा करती हैं।
पौराणिक कथा
भगवान सूर्य की पत्नी का नाम छाया था। शनिदेव, यमराज तथा यमुना उनकी संतान हैं। बेटी यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्ता के कारण यमराज समय नहीं निकाल पाते थे।
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भाईदोज के दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। तब यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। अपनी बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने स्नान कर पूजन करके भाई को पकवानों का भोजन कराया।
यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से कहा कि मांगो क्या वर मांगना चाहती हो। तब यमुना ने कहा कि भ्राताश्री आप इसी प्रकार प्रति वर्ष इस दिन मेरे घर भोजन करने आया करो। साथ ही जो भी बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार के साथ भोजन करवाती है और उसे टीका करती है उस भाई को आपका भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह ली। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यमराज का भय नहीं रहता है, इसीलिए होली के दूसरे दिन भाईदोज को प्रतीक स्वरुप में गोबर के यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
Created On :   9 March 2020 12:33 PM IST
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