Happy Baisakhi: किसानों के लिए बहुत खास होता है त्योहार, होते हैं कई धार्मिक और ऐतिहासिक कारण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। त्योहार हमेशा खुशिया लेकर आते हैं और बात जब बैसाखी जैसी त्योहार की हो तो क्या कहने। सिख समुदाय के इस त्योहार को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे तमिलनाडू में पुथांडू, केरल में पूरन विशु और बिहार व नेपाल में सत्तू संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के धार्मिक और ऐतिहासिक कारण भी है। ऐतिहासिक कारण यह है कि इस दिन सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। धार्मिक कारण यह है कि इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं और नए साल का प्रारंभ होता है। इस तरह यह त्योहार नए साल के रुप में भी मनाया जाता है।
एक धार्मिक मान्यता के अनुसार मोक्षदायिनी गंगा इसी दिन इसी दिन धरती पर उतरी थीं। इस त्योहार का नाम बैसाखी इसलिए पड़ा, क्योंकि बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं।
Amritsar: Devotees take holy dip in Sarovar at Golden Temple on #Baisakhi pic.twitter.com/tojUn48ApA
— ANI (@ANI) April 14, 2019
सिख समुदाय इस त्योहार को ढोल नगाड़ों के साथ मनाता है। गुरुद्वारों को सजाया जाता है। भजन कीर्तन किए जाते हैं। लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हें। घरों में कई तरह के पकवान बनते हैं और पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाता है। इस बार बैसाखी 14 अप्रैल को है। 36 सालों बाद ऐसा संयोग बना है कि बैसाखी इस दिन पड़ रही है। वैसे हर साल इसे 13 अप्रैल को मनाया जाता है। अप्रैल माह में नई फसल जब आती है तो किसानों के लिए ये किसी त्योहार से कम नहीं होता। इसे रबी की फसल पकने के मौके पर मनाया जाता है। किसानों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है।
Created On :   14 April 2019 8:11 AM GMT