गुरु नानक देव जयंती 2020: बचपन से प्रखर बुद्धि के स्वामी थे गुरु नानक, जानें उनके बारे में

Guru Nanak Dev Jayanti 2020: know about his life
गुरु नानक देव जयंती 2020: बचपन से प्रखर बुद्धि के स्वामी थे गुरु नानक, जानें उनके बारे में
गुरु नानक देव जयंती 2020: बचपन से प्रखर बुद्धि के स्वामी थे गुरु नानक, जानें उनके बारे में

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है, जो कि आज 30 नवंबर को है। गुरु नानक जयंती को गुरुपर्व भी कहा जाता है। गुरु नानक देव सिखों के 10 गुरुओं में से पहले गुरु होने के अलावा सिख धर्म के संस्थापक भी हैं, उन्हीं के जन्मदिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक साहेब का जन्म कार्तिक पूर्णिमा पर हिन्दू शक संवत् 1527 में 15 अप्रैल सन 1469ईस्वी राय भोई की तलवंडी में हुआ, वर्तमान में ननकाना साहिब, पंजाब, जो अब पाकिस्तान में है। 

नानक साहेब का जन्म रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक गाँव में कार्तिकी पूर्णिमा को एक खत्रीकुल में हुआ था। कई लोग इनकी जन्मतिथि 15 अप्रैल मानते हैं, लेकिन प्रचलन में कार्तिक पूर्णिमा ही है, जो अक्टूबर-नवंबर में दीवाली के 15 दिन बाद पड़ती है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और गुरु नानक साहेब के बारे में...

कार्तिक पूर्णिमा 2020: सूर्यास्त के बाद करें ये कार्य, धन की होगी पूर्ति

इन नामों से भी जाने जाते हैं
नानक देव जी के अनुयायी या इनको मानने वाले इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक, नानक साहेब और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। लद्दाख व तिब्बत में इनको नानक लामा भी कहा जाता है। 

व्यक्तित्व
गुरु नानक जी अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु आदि गुण संजोये हुए थे। अधिकतर लोगों का मानना है कि बाबा नानक एक सूफी संत थे और उनके सूफी कवि होने के प्रमाण भी पर लगभग सभी इतिहासकारों द्वारा समय-समय पर दिए जाते रहे हैं।

ऐसा रहा जीवन ​
गुरु नानक साहेब के पिता का नाम कल्याणचंद और माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। इनकी बहन का नाम नानकी था। बालक नानक बचपन से प्रखर बुद्धि के स्वामी थे। लड़कपन में आ कर ये सांसारिक विषयों में उदासीन रहने लगे थे। फिर शिक्षा में इनका मन नहीं लगा। 7-8 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया क्योंकि भगवतप्राप्ति के संबंध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक हार गए और सभी शिक्षक इनको सम्मान सहित घर छोड़ने आ गए। इसके बाद वे पूरा समय आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बालपन के समय में इनके साथ कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर पूरे गाँव के लोग इन्हें कोई दिव्य व्यक्ति मानने लगे। बालपन के समय से ही नानक जी में श्रद्धा रखने वालों में इनकी बहन नानकी तथा गाँव के मुखिया रायबुलार प्रमुख रूप से थे।

नानक के मस्तिस्क पर नाग द्वारा छाया करने का मंजर देखकर रायबुलार नतमस्तक हो गये थे। नानक साहेब का विवाह बालपन मे ही लगभग सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अंतर्गत लाखौकी नामक गाँव में रहनेवाले मूला की बेटी सुलक्खनी से हुआ था। 32 वर्ष की आयु में इनके प्रथम पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ। चार वर्ष के बाद दूसरे पुत्र लखमीदास का जन्म हुआ। दोनों बेटों के जन्म के बाद इस्वी सन-1507 में नानक देव जी अपने परिवार को अपने ससुर के पास छोड़कर मरदाना, लहना, बाला और रामदास इन चारों अनुयाई को लेकर तीर्थयात्रा के लिये निकल गए।

Kartik Purnima 2020: आज दोपहर से पूर्णिमा तिथि हो जाएगी शुरू, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

ये सभी घूम-घूमकर उपदेश करने लगे। 1521 तक इन्होंने तीन यात्राचक्र पूरे कर लिए थे, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के प्रमुख-प्रमुख स्थान का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी भाषा में "उदासियाँ" कहा जाता है। नानक सर्वेश्वरवादी (सर्वेभवन्तु सुखिनः) थे। इन्होंने हिंदू धर्म मे फैली कुरीतिओं का सदैव विरोध किया। उनके दर्शन गायन में सूफियों जैसी था। साथ ही उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक स्थितियों पर भी नज़र डाली है। संत साहित्य में नानक उन संतों की श्रेणी में हैं उन्होंने नारी को सदा बड़प्पन दिया है।

जीवन के अंतिम दिनों में इनका प्रचार प्रसार बहुत बढ़ गया और इनके विचारों में भी परिवर्तन हुआ। स्वयं ये अपने परिवारवर्ग के साथ रहने लगे और मानवता कि सेवा में समय व्यतीत करने लगे। उन्होंने करतारपुर नामक एक नगर भी बसाया, जो कि अब पाकिस्तान में है और एक बड़ी धर्मशाला भी उसमें बनवाई। और इसी स्थान पर आश्वन मॉस कृष्ण पक्ष 10, संवत् 1597 ईस्वी 22 सितंबर 1539 को इनका बैकुंठ हो गया।

उन्होंने मृत्यु से पहले अपने प्रिये शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए। नानक अच्छे सूफी कवि थे। उनकी भाषा "बहता पानी" थी जिसमें फारसी, मुल्तानी, पंजाबी, सिंधी, खड़ी बोली, अरबी के शब्द समाहित किये गये हैं। 


 

Created On :   30 Nov 2020 12:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story