अनंत चतुर्दशी पर इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी पंचांग के छठवें माह भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की अपने घर में 10 दिनों तक यथाशक्ति सत्कार, सेवा और पूजा के बाद गणेश विसर्जन की परंपरा है। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर, रविवार को है।
शास्त्रों के अनुसार, गणेश प्रतिमा को विधि विधान से पूजा करने के बाद ही विसर्जन किया जाना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि शास्त्रोक्त विधि से गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाए तो भगवान गणेश जी अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं और उनके सारे कष्ट हर लेते हैं। आइये जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमा की पूजन के बारे में...
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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 19 सितंबर, रविवार सुबह 06 बजकर 07 मिनट से
तिथि समापन: 20 सितंबर, सोमवार सुबह 5 बजकर 28 मिनट तक
विसर्जन विधि
एक स्वच्छ पटा या चोकी लें। उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें। घर की कोई शुद्ध स्त्री उस पर स्वास्तिक बनाएं। उस पर अक्षत रखें फिर उस पर एक पीला, गुलाबी या लाल सुसज्जित वस्त्र बिछाएं। इस पर गुलाब की पंखुरियां बिखेरें। साथ में पटे के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें। अब श्री गणेश को उनके जयघोष के साथ स्थापना वाले स्थान से उठाएं और इस पटे पर विराजित करें। पटे पर विराजित करने के उपरांत उनके साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा, 5 मोदक रखें।
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एक छोटी लकड़ी लें। उस पर चावल, गेहूं और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधें और यथाशक्ति दक्षिणा (सिक्के) रखें। मान्यता है कि मार्ग में उन्हें किसी भी प्रकार के कष्टों का सामना न करना पड़े। इसलिए जैसे पुराने समय में घर से निकलते समय जो भी यात्रा के लिए तैयारी की जाती थी वैसी श्री गणेश जी की विदाई के समय की जानी चाहिए। फिर नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन से पूर्व कपूर की आरती पुन: संपन्न करें। श्री गणेश से खुशी-खुशी विदाई की कामना करें और उनसे धन, सुख, शांति, समृद्धि के साथ आशीर्वाद प्राप्त करें।
Created On :   18 Sept 2021 11:39 AM GMT