चैत्र नवरात्रि पर करें माता के इन शक्तिपीठ के दर्शन, मन की मुराद होगी पूरी

Do philosophy of Matas these Shakti Peeth on Chaitra Navratri
चैत्र नवरात्रि पर करें माता के इन शक्तिपीठ के दर्शन, मन की मुराद होगी पूरी
चैत्र नवरात्रि पर करें माता के इन शक्तिपीठ के दर्शन, मन की मुराद होगी पूरी

​डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्त्व है। इस समय में माता के शक्तिपीठों का दर्शन करने से मातारानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिन्दू धर्म शास्त्र और पुराणों की ही मानें तो जहां-जहां देवी सती के अंग के भाग, वस्त्र और गहने आदि गिरे थे वहां-वहां माता के शक्तिपीठ बन गए हैं। आपको बता दें कि इस बार 6 अप्रैल 2019 से आरम्भ हो रही है, ऐसे में किसी भी मां दुर्गा के मंदिर में दर्शन करने से मातारानी अपना आशीर्वाद भक्तों को देती हैं, लेकिन इन दिनों माता के 51 शक्तिपीठों में से किसी एक का दर्शन करने से माता का विशेष आशीष मिलता है। 
 
ये शक्तिपीठ प्राचीन भारत जो नेपाल, पाकिस्थान, बांग्लादेश और श्रीलंका तक में फैले हुए हैं। देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन है। वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं। आइए, जानें कहां-कहां हैं ये शक्तिपीठ जहां जाकर आप दर्शन कर माता का आशीर्वाद और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

1 - हिंगलाज शक्तिपीठ
पाकिस्तान में स्थित कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित हिंगलाज शक्‍तिपीठ। पुराणों की मानें तो यहां माता का सिर (माथा) गिरा था।

2 - शर्कररे (करवीर) शक्तिपीठ
पाकिस्तान के ही कराची में सुक्कर स्टेशन के पास शर्कररे शक्तिपीट है। यहां माता के नेत्र गिरे थे।

3 - सुगंधा-सुनंदा शक्तिपीठ
बांगलादेश के शिकारपुर में बरिसल से लगभग 20 किमी दूर सोंध नदी है। इसी नदी के समीप माता सुगंधा शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की नासिका गिरी थी।

4 - कश्मीर-महामाया शक्तिपीठ
भारत के काश्मीर में पहलगांव के पास माता का कंठ गिरा था। यहां महामाया शक्तिपीठ बन गया है।

5 - ज्वालामुखी-सिद्धिदा शक्तिपीठ
भारत में हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा नामक स्थान पर माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वालाजी कहा जाता है।

6 - जालंधर-त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ
पंजाब के जालंधर में छावनी रेलवे स्टेशन के पास देवी तालाब है। यहां माता का बायां वक्ष गिरा था।

7 - वैद्यनाथ- जयदुर्गा शक्तिपीठ
झारखंड के देवघर में बना है वैद्यनाथ धाम। यहां माता का हृदय गिरा था।

8 - नेपाल- महामाया शक्तिपीठ
नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास बसा है गुजरेश्वरी मंदिर। यहां माता के दोनों घुटने गिरे थे।

9 - मानस- दाक्षायणी शक्तिपीठ
तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास एक पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था।

10 - विरजा- विरजाक्षेतर शक्तिपीठ
भारत के उड़ीसा में विराज में उत्कल स्थित इस स्थान पर माता की नाभि गिरी थी।

11 - गंडकी- गंडकी शक्तिपीठ
नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर है। यहां पर माता का मस्तक या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी।

12 - बहुला-बहुला (चंडिका) शक्तिपीठ
भारत के पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल नामक स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था।

13 - उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका शक्तिपीठ
भारत में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी।

14 - त्रिपुरा-त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ
भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था।

15 - चट्टल - भवानी शक्तिपीठ
बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगांव) जिले के सीताकुंड स्टेशन के पास  चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी।

16 - त्रिस्रोता - भ्रामरी शक्तिपीठ
भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम स्थित त्रिस्रोत नामक स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था।

17 - कामगिरि – कामख्या शक्तिपीठ
भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि वाला भाग गिरा था।

18 - प्रयाग - ललिता शक्तिपीठ
भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (इलाहबाद) के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी।

19 - युगाद्या- भूतधात्री शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्‍या (युगाद्या) स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था।

20 - जयंती- जयंती शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर है। यहां माता की बायीं जंघा गिरी थी।

21 - कालीपीठ - कालिका शक्तिपीठ
कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।

22 - किरीट - विमला (भुवनेशी) शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था।

23 - वाराणसी - विशालाक्षी शक्तिपीठ
उत्तरप्रदेश के काशी में मणि‍कर्णिक घाट पर माता के कान के मणि जड़ीत कुंडल गिरे थे।

24 - कन्याश्रम - सर्वाणी शक्तिपीठ
कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था।

25 - कुरुक्षेत्र - सावित्री शक्तिपीठ
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी।

26 - मणिदेविक - गायत्री शक्तिपीठ
अजमेर के पास पुष्कर के मणिबन्ध नामक स्थान के गायत्री पर्वत पर माता के दो मणिबंध गिरे थे।

27 - श्रीशैल - महालक्ष्मी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था।

28 - कांची- देवगर्भा शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी।

29 - कालमाधव - देवी काली शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था, जहां एक गुफा है।

30 - शोणदेश - नर्मदा शोणाक्षी शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश नामक स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था।

31 - रामगिरि - शिवानी शक्तिपीठ
उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि नामक स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था।

32 - वृंदावन - उमा शक्तिपीठ
उत्तरप्रदेश में मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे।

33 - शुचि- नारायणी शक्तिपीठ
तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है। यहां पर माता के ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे।

34 - पंचसागर - वाराही शक्तिपीठ
पंचसागर (एक अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत गिरे थे।

35 - करतोयातट - अपर्णा शक्तिपीठ
बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी।

36 - श्रीपर्वत - श्रीसुंदरी शक्तिपीठ
कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। दूसरी मान्यता अनुसार आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात दाएं पैर की एड़ी गिरी थी।

37 - विभाष - कपालिनी शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बाईं एड़ी गिरी थी।

38 - प्रभास - चंद्रभागा शक्तिपीठ
गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के पास वेरावल स्टेशन से 4 किमी प्रभास क्षेत्र में माता का उदर (पेट) गिरा था।

39 - भैरवपर्वत - अवंती शक्तिपीठ
मध्यप्रदेश के ‍उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के होंठ गिरे थे।

40 - जनस्थान - भ्रामरी शक्तिपीठ
महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी।

41 - सर्वशैल शक्तिपीठ
आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे।

42 - गोदावरीतीर शक्तिपीठ
इस स्थान पर माता के दक्षिण गंड गिरे थे।

43 - रत्नावली - कुमारी शक्तिपीठ
बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था।

44 - मिथिला- उमा (महादेवी) शक्तिपीठ
भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था।

45 - नलहाटी - कालिका तारापीठ शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की अस्थियां गिरी थी।

46 - कर्णाट- जयदुर्गा शक्तिपीठ
यहां कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे।

47 - वक्रेश्वर - महिषमर्दिनी शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य गिरा था।

48 - यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर नामक स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे थे।

49 - अट्टाहास - फुल्लरा शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के लाभपुर स्टेशन से दो कि.मी. दूर अट्टहास स्थान पर माता के होठ गिरे थे।

50 - नंदीपूर - नंदिनी शक्तिपीठ
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के पास माता का गले का हार गिरा था।

51 - लंका - इंद्राक्षी शक्तिपीठ
ऐसा माना गया है कि संभवत: श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी। सिर्फ यही नहीं इसके अलावा पटना-गया मगध क्षेत्र को भी शक्तिपीठ माना जाता है।
 

Created On :   2 April 2019 2:24 PM IST

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