अमृतसर में मनाया जाएगा बंदी छोड़ दिवस, जानिए मुगल शासन से जुड़ा रहस्य
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डिजिटल डेस्क, अमृतसर। दीपावली को दुनियाभर के सिख दाता बंदी छोड़ दिवस से रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर अमृतसर रोशनी से जगमगा उठा है। पावन नगरी के केंद्र खास केंद्र दरबार साहिब में लाखों की तादाद में श्रद्धालु संसार के कोने-कोने से पहुंचे हैं। इस बार बंदी छोड़ दिवस को लेकर सिख संस्थाओं ने सोशल मीडिया पर इको फ्रेंड्ली त्यौहार मनाने का संदेश दिया। ताकि पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाया जा सके।
इसके मद्देनजर परिसर में केवल 5 मिनट की आतिशबाजी को ही इजाजत मिल सकी। गलियारे सहित दरबार साहिब और अकाल तख्त साहिब की इमारतों को LED लाइट्स से सजाया गया है। वहां रंग बिरंगी रौशनी के साथ ही इको फ्रेंड्ली वातावरण तैयार किया गया है। जो देखने वालों को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रहा है।
LED लाइट्स से रौशन परिसर
इस दिन सिखों के आराध्य और छठवें गुरु, गुरु हरगोबिन्द साहिब का अमृतसर आगमन हुआ था। गुरु साहिब ग्वालियर के किले से 52 राजाओं को जहांगीर की कैद से मुक्त कराकर अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। उस वक्त आतिशबाजी के आलावा युद्ध कौशल दिखाया गया था। पूरे अमृतसर शहर को दियों की रौशनी से सजाया गया था। इस दिन को "दाता बंदी छोड़ दिवस" के रूप में मनाया जाता है। यानी बंधनों को मुक्त कराने वाले दाता का खास दिन।
बंदी छोड़ का महत्व
सिख संस्थाओं से जुड़े कवलजीत सिंह जो ग्वालियर के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि जब मुगल बादशाह को जब अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने हरगोबिन्द साहिब से लौटने का आग्रह किया। जिसके बाद गुरु साहिब ने कहा कि वह अकेले नहीं जाएंगे। उन्होंने कैदी राजाओं को भी मुक्त कराने की बात कही। जिसके बाद ने गुरु साहिब के लिए 52 कली का चोला (वस्त्र) सिलवाया गया। 52 राजा जिसकी एक-एक कली पकड़कर किले से बाहर आ गए। इस तरह उन्हें कैद से मुक्ति मिल सकी थी।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं का रखा ध्यान
बंदी छोड़ दिवस के मौके पर अमृतसर की खास इमारतों को सजाया गया है। परिसर तक पहुंचने वाले मार्ग की सुंदरता भी देखते ही बन रही है। शाम रहरास साहिब का पाठ होने के बाद विशेष अरदास की जाएगी। सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखा है।
Created On :   18 Oct 2017 9:59 PM IST