30 वर्ष बाद बन रहा है ये विशेष संयोग, जानें पूजा का मुहूर्त और विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का पर्व धूम- धाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 04 नवंबर, गुरुवार को मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार दीपावली पर चंद्र-मंगल के केंद्र तथा शनि के शश योग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार दीपावली पर ग्रह, नक्षत्र व योगों का यह विशिष्ट संयोग 30 साल बाद बन रहा है।
बता दें कि दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी को इस संसार में भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इस त्योहार को खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक माना गया है।
शुभ मुहूर्त
तिथि: 04 नवंबर 2021, गुरुवार
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 10 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक
कुल अवधि : 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल : शाम 05 बजकर 34 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक
वृषभ काल : शाम 06 बजकर 10 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक
दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : रात 11 बजकर 38 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट तक
महानिशीथ काल : रात 11 बजकर 38 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट तक
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः काल मुहूर्त्त (शुभ): सुबह 06 बजकर 34 मिनट से 07 बजकर 57 मिनट तक
प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत): सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल): शाम 4 बजकर 11 मिनट से रात 08 बजकर 49 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
- सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें।
- पूजा करने वाले मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें।
- कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें।
- नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
- दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल।
- एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में।
- इसके अलावा एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
- मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं।
- गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं।
- नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
- इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचों बीच ॐ लिखें।
- छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।
Created On :   29 Oct 2021 5:20 PM IST