आखिर क्यों डरते हैं लोग शनि की साढेसाती से? जानें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शनि की साढेसाती किस प्रकार अपना काम करती है। अलग-अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग-अलग फल देते है। शनि साढेसाती के रूप में तीन राशियों पर एक साथ गोचर करते है। तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढ़ेसाती के तीन चरण के नाम से जाना जाता है। जिस व्यक्ति को यह पता जाये की उस पर शनि कि साढेसाती चल रही है, तो वह व्यक्ति यह सुनकर ही मानसिक दबाव में आ जाता है।
आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर कई प्रकार के नकारात्मक विचार उसके मन में आने लगते है। आजकल शनि की साढ़ेसाती को लेकर कई प्रकार के भ्रम फेले हुए है। सत्यता में साढेसाती का रुप कुछ अलग होता है। आईये हम आपको आज शनि के चरणों को समझाने का प्रयास करते है-
साढेसाती के विभिन्न चरणों का फल विभिन्न राशियों के लिये कैसा होता है?
साढेसाती का प्रथम चरण:- वृ्षभ, सिंह, धनु राशि वालों के लिये कष्टकारी होता है।
द्वितीय चरण या मध्य चरण:- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशि वालों के लिये अनुकूल नहीं होता है।
और अन्तिम तीसरा चरण :- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि वालों के लिये कष्ट देता है।
इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है।
प्रथम चरण में :-
इस समयावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है। सोचे गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है। धन के विषयों में साढ़ेसाती के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ या चालू नहीं हो पाती है। और अचानक से धन हानि हो जाती है। उस व्यक्ति को अनिद्रा का रोग भी हो सकता है। स्वास्थय में निरंतर गिरावट के योग बनते है। विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनते हुए भी बिगड जाते है। और यह समय उस व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है। मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य सी बात हो जाती है। दांम्पय जीवन में बहुत कठिनाई आती है। जितनी मेहनत करतें हैं उसके अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है।
द्वितीय चरण में :-
उस व्यक्ति को शनि की साढेसाती के इस समय में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते हैं। उसके सगे-संबन्धि भी उसे कष्ट देते है। उसे अधिक यात्रायें करनी पड़ती है लेकिन कोई काम फिर भी नही बन पाता है। दिन रात श्रम करने भी अच्छा फल नही मिलता है। घर-परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। कभी-कभी रोगों में वृ्द्धि हो जाती है। संपति से संम्बन्धित विवाद परेशान करते है। किसी भी मित्र का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है। काम के बार-बार बाधित होने के कारण जातक के मन में निराशा के भाव आते रहते है। काम को पूरा करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पड़ते है। आर्थिक परेशानियां भी निरंतर बनी रह सकती है।
तीसरा चरण :-
शनि साढ़ेसाती के तीसरे चरण में जातक के भौतिक सुखों में कमी होती है। उसके अधिकारों में कमी होती है। आय की तुलना में खर्च अधिक होने लगते है। स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आये दिन आने लगती है। परिवार में शुभ कार्य बाधित होकर पूरे होते है। वाद-विवाद के अकारण ही योग बनते है। संतान से विचारों में मतभेद होने लगते है। संक्षेप में यह अवधि जातक के लिये लाभकारी नहीं रहती है। जिस किसी भी जातक की जन्म की चन्द्र राशि पर शनि की साढेसाती का तीसरा चरण चल रहा हों, उस जातक को वाद-विवाद से बचके रहना चाहिए।
शनि के प्रकोप से बचने के उपाय
- शनि के प्रकोप से बचने के लिए हनुमानजी की साधना करनी चाहिए।
- हर शनिवार को तेल का दान करें। तेल का दान करने के लिए एक कटोरी में तेल लें और उस तेल में अपना मुंह देखकर उसका दान करें।
- यदि आप चाहे तो काले घोड़े की नाल से बना छल्ला भी मध्यमा उंगली में धारण कर सकते हैं। यह छल्ला शनिवार के दिन धारण करना चाहिए।
- हर शनिवार पीपल के वृक्ष का पूजन करें। जल चढ़ाएं। 7 बार परिक्रमा करें।
- हर शनिवार शनि मंत्र और हनुमान मंत्र का जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:
ॐ हूँ मनुमंते नमः
- इन मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
Created On :   31 March 2019 10:40 AM IST