जानें इस दिन का महत्व, सूर्य के धनु में प्रवेश से होंगे ये बदलाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। इस बार 16 दिसंबर को सूर्यदेव ने धनुराशि में प्रवेश कर लिया है। सूर्यदेव की धनु में प्रवेश की घटना को ही धनु संक्रांति कहा जाता है। बता दें कि, हिन्दू धर्म में सूर्य को नव ग्रहों का स्वामी कहा गया है। इनकी गति और स्थिति का प्रभाव सभी ग्रह, नक्षत्रों और राशियों पर पड़ता है। सूर्य का अपनी गति के अनुरूप अलग-अलग राशियों में प्रवेश करना संक्राति कहलाता है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, साल में कुल 12 संक्रातियां पड़ती हैं। जिनमें से कर्क संक्राति और मकर संक्राति का विशेष महत्व है। वहीं सूर्य के धनु राशि में रहने पर खरमास लगता है। इस परिवर्तन को भी बेहद खास माना गया है। आइए जानते हैं धनु संक्राति का महत्व और पूजन विधि...
महत्व
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, संक्रांति का समय काफी कम होता है, ऐसे में इस दौरान स्नान-दान करना कठिन होता है। यही कारण है कि संक्रांति के पुण्य काल में स्नान-दान और पूजा पाठ किया जाता है। वहीं सूर्य का धनु और मीन राशि में प्रवेश करने पर खरमास या मलमास लगता है। गुरू के प्रभाव में कमी के कारण इस काल में विवाह आदि मांगलिक कार्यों को करने की मनाही है।
इस अवधि में भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा की जाना चाहिए। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, खरमास में नियमित रूप से प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त हो कर भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
Created On :   16 Dec 2022 10:13 PM IST