इस व्रत और पूजा से होगा शत्रुओं का नाश, इन मंत्रों का करें जाप

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस माना जाता है। इस वर्ष मां बगलामुखी जयंती आज यानी 09 मई 2022, दिन सोमवार को है। मां बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि, मां बगलामुखी की उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से हुई थी। कहा जाता है कि देवी को पीला रंग बहुत प्रिय है। मां पीले वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए इन्हें माता पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है।
मां बगलामुखी जयंती के दिन विधि विधान से देवी बगलामुखी की पूजा की जाती है। मां बगलामुखी देवी दुर्गा का अवतार हैं। इनकी आराधना-उपासना तुरंत फलदायी मानी जाती है। कहा जाता है कि मां के भक्तों की कभी पराजय नहीं होती। तांत्रिक पद्धति से की गई मां बगलामुखी की पूजा त्वरित और तीव्र परिणाम देती है। जो भी व्यक्ति हमारे शत्रु हैं, मां बगलामुखी उनका अनिष्ट करती हैं।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हर:
हवन सामग्री
पूजा के दौरान हवन में पिसी हुई शुद्ध हल्दी, मालकांगनी, काले तिल, गूगल, पीली हरताल, पीली सरसों, नीम का तेल, सरसों का तेल, बेर की लकड़ी, सूखी साबुत लाल मिर्च आदि का उपयोग किया जाता है।
व्रत और पूजन विधि
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार व्रती को साधना अकेले मंदिर में अथवा किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर माता बगलामुखी की पूजा करनी चाहिए।
पूजा की दिशा पूर्व में होना चाहिए, जहां पूजा करना है उसे सर्वप्रथम गंगाजल से पवित्र कर लें।
इसके बाद पूजा के स्थान पर एक चौकी रखकर उस पर माता बगलामुखी की प्रतिमूर्ति को स्थापित करें
इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं, आसन पवित्र करें। माता बगलामुखी व्रत का संकल्प हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, और पीले फूल तथा दक्षिणा लेकर करें
माता की पूजा धूप, दीप, अगरबत्ती और विशेष पीले फल, पीले फूल, पीले लड्डू का प्रसाद चढ़ाकर करें।
ध्यान रखें कि इस दिन निराहार व्रत किया जाता है। शाम के समय पूजा के बाद फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
Created On :   9 May 2022 3:20 PM IST