Narmada Jayanti 2025: कैसे हुई नर्मदा की उत्पत्ति और क्या है इस दिन का महत्व और पूजा विधि? यहां जानें
- नर्मदा जयंती 04 फरवरी 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी
- माघ के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है जयंती
- नर्मदा नदी की महिमा का वर्णन चारों वेदों में मिलता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचाग के अनुसार, हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti) मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां नर्मदा का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और मां नर्मदा की विधि विधान से पूजा करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि, नर्मदा जंयती के दिन नर्मदा के पवित्र जल में जब आप आस्था की डुबकी लगाते हैं तो आपके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इस दिन नर्मदा में स्नान करने से मां गंगा का आशीर्वाद भी मिलता है। इस वर्ष नर्मदा जयंती 04 फरवरी 2025, मंगलवार को मनाई जा रही है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि...
तिथि कब से कब तक
सप्तमी तिथि का आरंभ: 04 फरवरी 2025, मंगलवार की सुबह 4 बजकर 37 मिनट से
सप्तमी तिथि का समापन: 05 फरवरी 2025, बुधवार की देर रात 2 बजकर 30 मिनट तक
नर्मदा जयंती का महत्व
धार्मिक मान्यतानुसार, मां नर्मदा का जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था। इस दिन को मां नर्मदा के जन्मस्थान कहे जाने वाले अमरकंटक से लेकर गुजरात में खंबात की खाड़ी तक नर्मदा किनारे स्थित शहरों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मां नर्मदा को रेवा भी कहा जाता है। मां नर्मदा की पवित्रता की वजह से इसके किनारे पर तपस्वी तपस्या भी करते हैं। माना जाता है कि, नर्मदा नदी के तट पर साधना करते हुए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की थी। बता दें कि, नर्मदा अथाह जल के साथ अमरकंटक से निकलती है और खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिलती है।
कैसे उत्पन्न हुई नर्मदा
पुराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव घोर अराधना में लीन थे। इससे उनके शरीर से पसीना निकलने लगा था। यह पसीना नदी के रूप में बहने लगा और वह नर्मदा नदी बन गई। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी इस नदी उल्लेख है।
इस विधि से करें पूजा
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और नित्यक्रमादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद सूर्योदय के समय नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाएं। समय के अभाव में सूर्यास्त के मध्य तक भी स्नान और पूजा की जा सकती है।
- नदी में फूल, दीपक, हल्दी, कुमकुम आदि अर्पित करें।
- इसके बाद हाथ जोड़कर स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- नर्मदा नदी के तट पर गेहूं के आटे का दीपक प्रज्वलित करें।
- इसके बाद संभव हो तो संध्या के समय नर्मदा नदी की आरती करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   3 Feb 2025 7:08 PM IST