Margashirsha Shivratri 2024: मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
  • मासिक शिवरात्रि 29 नवंबर 2024, शुक्रवार को है
  • व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं
  • कन्याएं भी अच्छे वर के लिए यह व्रत रखती हैं

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है, जो कि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए खास माना गया है। फिलहाल, मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि 29 नवंबर 2024, शुक्रवार को पड़ रही है। शिव पुराण के अनुसार, जो भी सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति शिव चतुर्दशी का व्रत पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता-पिता के साथ ही स्वयं के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन कन्याएं भी अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं, जिससे उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं इस शिव चतुदर्शी तिथि, मुहुर्त और पूजा विधि के बारे में...

तिथि कब से कब तक

तिथि आरंभ: 29 नवंबर 2024 की सुबह 8 बजकर 39 मिनट से मिनट से

तिथि समापन: 30 नवंबर की सुबह 10 बजकर 29 मिनट तक

पूजा मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मासिक शिवरात्रि की पूजा रात को निशिता काल में की जाती है। ऐसे में मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा करने का शुभ मुहूर्त 6 मई की देर रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।

पूजा विधि

- मासिक शिवरात्रि वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।

- इसके बाद किसी मंदिर में जाकर शिव परिवार की अराधना करें।

- आप चाहें तो अपने घर में भी शिवलिंग की विधि विधान से पूजा कर सकते हैं।

- भगवान शिव की पूजा में सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें।

- शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से करें।

- अभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

- अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाएं।

- पूजा के दौरान गाय के घी का दीपक आज जलाएं।

- पूजा के अंत में शिव जी को भोग के रुप में गांजा, भांग, धतूरा तथा श्री फल (नारियल) समर्पित करें।

- इस दिन उपासक को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए और रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए।

- अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   28 Nov 2024 2:59 PM IST

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