करवा चौथ 2023: 100 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जानें व्रत और पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ 01 नवंबर, बुधवार को मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। दिनभर व्रत के बाद शाम के समय भगवान शिव, माता पर्वती, गणेश और कार्तिकेय की विधिवत पूजा करती हैं। इसके बाद रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास है। क्योंकि, पूरे 100 साल बाद इस करवाचौथ पर अद्भुत संयोग बन रहा है। क्या है ये संयोग और कैसे करें पूजा आइए जानते हैं...
100 साल बाद ये संयोग बना
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल करवाचौथ पर शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही शनि के कारण शश राजयोग बन रहा है। इस दिन मंगल और बुध, सूर्य ग्रह तुला राशि में विराजमान हैं। साथ ही सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग, मंगल और सूर्य मिलकर मंगल आदित्य योग का निर्माण हो रहा है।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर, मंगलवार रात 9 बजकर 30 मिनट से
तिथि समापन: 01 नवंबर, बुधवार रात 9 बजकर 19 मिनट तक
पूजा मुहूर्त: शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक
चंद्रोदय: बुधवार रात 8 बजकर 26 मिनट पर
ऐसे करें पूजा
सूर्योदय से पूर्व यानि कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लें।
घर और घर में स्थित मंदिर की साफ-सफाई करें।
सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान पूजा करें।
भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें।
शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य बनाएं।
शाम के समय शुभ मुहूर्त में करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें
इसके बाद चंद्रमा की पूजा करें।
चंद्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दें और पति को छलनी से देखकर आरती उतारें।
इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण करें।
पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें
"ॐ शिवायै नमः" से पार्वती का
"ॐ नमः शिवाय" से शिव का
"ॐ षण्मुखाय नमः" से स्वामी कार्तिकेय का
"ॐ गणेशाय नमः" से गणेश का
"ॐ सोमाय नमः" से चंद्र देव का पूजन करें।
इन बातों का रखें ध्यान
करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें। पति की माता अर्थात अपनी सासू मां को भेंट रूप से एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें। कुआंरी कन्याएं किसी सुहागन वृद्ध महिला को भेंट स्वरुप वस्त्र या कुछ सुहाग सामग्री भेंट में दें। इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   31 Oct 2023 1:49 PM IST