Jagannath Rath Yatra 2024: जानिए क्यों निकाली जाती है ये यात्रा और क्या है इस साल रथ यात्रा का मुहूर्त?

जानिए क्यों निकाली जाती है ये यात्रा और क्या है इस साल रथ यात्रा का मुहूर्त?
  • पुरी में इस यात्रा में कुल तीन रथ शामिल होते हैं
  • यह रथ यात्रा 7 जुलाई को निकाली जा रही है
  • सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी यात्रा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर साल आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया को ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ स्वामी की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में कुल तीन रथ शामिल होते हैं, जिसमें से एक में प्रभु जगन्नाथ, दूसरे में उनके भाई बलराम जी और तीसरे में उनकी बहन सुभद्रा विराजमान होती हैं। इस यात्रा में देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। इस वर्ष यह यात्रा 7 जुलाई 2024, रविवार को निकाली जा रही है।

ऐसा माना जाता है कि, भगवान जगन्नाथ की इस रथयात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य का फल मिलता है। वहीं रथ यात्रा के दौरान नवग्रहों की पूजा की जाती है, जिससे इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं पर ग्रहों का शुभ प्रभाव पड़ता है। क्यों निकाली जाती है ये यात्रा और क्या है इस वर्ष यात्रा का मुहूर्त? आइए जानते हैं...

इस वर्ष रथ यात्रा का मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई 2024, रविवार की सुबह 08 बजकर 05 मिनट से होगी, जो सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक निकाली जाएगी। इसके बाद यात्रा दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से फिर से शुरू होगी और 01 बजकर 37 मिनट पर विश्राम लेगी। बाद में शाम 04 बजकर 39 मिनट से यात्रा फिर से शुरू होगी और शाम 06 बजकर 01 मिनट तक चलेगी।

क्यों निकाली जाती है यात्रा?

भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा को सदियों से निकाला जाता रहा है। इसके पीछे पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम जी से उनकी बहन सुभद्रा से नगर भ्रमण की इच्छा व्यक्त करती हैं। इसके बाद दोनों भाई अपनी प्यारी बहन के लिए रथ बनवा देते हैं और फिर इस रथ में बैठकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस दौरान रास्ते में उनकी मौसी का घर गुंडिचा में पड़ता है, जहां तीनों लोग रुकते हैं।

मौसी के यहां तीनों भाई- बहन पकवानों का आनंद उठाते हैं। लेकिन, यहां उनकी तबियत खराब हो जाती है, जिससे वे यहां पूरे 7 दिनों तक रुकते हैं और स्वस्थ्य होने के बाद वे फिर से नगर का भ्रमण करते हुए वापस पुरी लौटते हैं। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   6 July 2024 11:35 AM GMT

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