Annapurna Jayanti 2024: अन्नपूर्णा जयंती पर इस विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त
- अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी
- पूजा से घर में कभी धनधान्य की कमी नहीं रहती
- पूजा से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti) मनाई जाती है। इस दिन मां पार्वती के स्वरूप मां अन्नपूर्णा की विधि विधान से पूजा किए जाने की परंपरा है। पुराणों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर माता पार्वती का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इस साल अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर 2024 यानि कि रविवार के दिन मनाई जाएगी।
मान्यता है कि, माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में कभी धनधान्य की कमी नहीं रहती। इसके साथ ही पूजा घर में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखकर नियमित रूप से पूजा करने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है अन्नपूर्णा जयंती? क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
क्यों मनाते हैं अन्नपूर्णा जयंती?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में जब एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई थी, तब माता पार्वती (गौरी) ने अन्न की देवी के रूप में 'माँ अन्नपूर्णा' का अवतार लिया था। मां के इस स्वरूप ने लोगों को भोजन प्रदान कर मानव जाति की रक्षा की थी। पुराणों के अनुसार, जिस दिन मां का अवतरण हुआ, उस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा थी। तभी इस दिन को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि, इस दिन मां अन्नपूर्णा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि प्राप्ति होती है।
अन्नपूर्णा जयंती का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 14 दिसंबर 2024, शनिवार की शाम 4 बजकर 58 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024, रविवार की दोपहर 2 बजकर 31 मिनट तक
कब है जयंती: उदयातिथि के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।
इस विधि से करें पूजा
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गैस-चूल्हा के साथ पूरे किचन को अच्छे से साफ करें।
- सफाई के बाद किचन को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
- इसके बाद चूल्हा में स्वास्तिक बनाएं।
- अब सिंदूर, अक्षत, लाल रंग का फूल और भोग लगाएं।
- फिर धूप या आरती करें।
- पूजा घर में लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- अब मां को लाल रंग के फूल, सिंदूर, रोली, अक्षत आदि चढ़ाएं।
- इसके बाद मूंग की दाल के अलावा अन्य चीजों का भोग लगाएं।
- घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
- पूजा के अंत में आरती करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   14 Dec 2024 3:30 PM IST