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परंपरा: पोला उत्सव आज, पूजे जाएंगे नंदी, निभाई जाएगी रस्म
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डिजिटल डेस्क, बालाघाट।पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज शनिवार 27 अगस्त को अमावस्या पर जिले भर मे भक्तिभाव के साथ पोला उत्सव मनाया जाएगा। उत्सव को लेकर धर्मावलंबियों द्वारा व्यापक तैयारी की गई है। इस अवसर पर जिला मुख्यालय समेत तहसील क्षेत्रों के ग्रामीण अंचलो में बैलजोड़ी स्पर्धा का भी आयोजन किए जाने की जानकारी है। पर्व को लेकर शुक्रवार को शहर के हाट बाजार पूरी तरह से गुलजार देखे गए। इस धार्मिक परम्परा के निर्वहन को लेकर लोगों ने जमकर खरीदारी भी की।
गांवो में धूम
खास बात यह है कि पोला त्योहार की धूम बालाघाट जिला मुख्यालय के अलावा यहां के तहसील क्षेत्र वारासिवनी, कटंगी, खैरलांजी, बैहर, परसवाड़ा, बिरसा, मोहगांव, मलाजखण्ड, चांगोटोला, लामटा, रजेगांव, किरनापुर, लांजी, सालेटेका, हट्टा डोंगरमाली, लालबर्रा, नांदी, रामपायली समेत गांव-गांव में देखने को मिल रही है।
ये हैं मान्यता
पौराणिक धार्मिक मान्यताओ के अनुसार इस दिन किसानों द्वारा अपने मवेशी बैलों को सजाकर शोभायात्रा निकाली जाती है, जो गांव के एक नियत स्थान पर एकत्रित होकर पोला त्योहार की रस्म निभाते है। इस दौरान गांवों मे बैल दौड़ स्पर्धा आयोजित की जाती है। जानकारी के अनुसार कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले पोला त्योहार पर किसानों द्वारा विविध कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस दिन बैलो की आरती उतारकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुरूप मिट्टी से बने नंदियों की घर-घर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
किसान बोले-इस दिन खेतों में भी करते हैं विशेष पूजा
किसानो से मिली जानकारी के अनुसार पोला पर्व उन्नत फसल एवं फसल मे किसी प्रकार की बीमारी का प्रकोप न हो इस हेतु मनाया जाता है। सरेखा के किसान सुनील कुमार, नैतरा के किसान खूबचंद पटेल का कहना रहा कि इस दिन घर-घर मे विशेष पूजा अर्चना कर दूसरे दिन गांव-गांव मे मारबत जुलूस निकाला जाता है, जो आसुरी शक्ति के विरोध मे निकाला जाता है। मारबत पर्व को बालाघाट जिले की संस्कृति में नारबोद के नाम से संबोधित किया जाता है इस दिन ग्रामीणजन आसुरी शक्ति का पुतला बनाकर बाजे-गाजे के साथ नदी तालाब एवं जलाशय के समीप अलसुबह उसका विसर्जन करते हैं। बाद में खेत में विशेष-पूजा अर्चना करते हैं।
कल निकलेगा जुलूस
पोला त्योहार के दूसरे दिन रविवार 28 अगस्त को मारबत पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गांवों मे निराली परम्परा देखने को मिलती है। इस दिन किसान अपने कृषि कार्य पूरी तरह से बंद रखते है तथा खेतों मे जाकर विशेष पूजा अर्चना करते है, तथा सुख-समृध्दि को लेकर विशेष आयोजन करते है और विविध प्रकार के व्यंजन बनाते है।
Created On :   27 Aug 2022 3:22 PM IST