लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस के हिस्से में जीत आती-जाती रही भाजपा का 46 साल बाद खुला खाता, समझें बालाघाट का सियासी समीकरण
- बालाघाट सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की नजर
- पिछले चुनाव में बीजेपी ने बालाघाट सीट पर पहली बार जीत हासिल की
- समझें बालाघाट का सियासी समीकरण
डिजिटल डेस्क, बालाघाट। छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र राज्य की सीमा से सटी बालाघाट लोकसभा सीट पर 1952 में हुए संसदीय चुनावों से बने कांग्रेस के दबदबे का असर हालिया विधानसभा चुनावों में भी दिखा। बालाघाट जिले की 6 में से 4 विधानसभा सीटें कांग्रेस जीत ले गई। यह आंकड़ा 2018 के विधानसभा चुनावों से एक ज्यादा है। इसमें भी कांग्रेस ने अपनी कटंगी तथा लांजी सीट खोई तो भाजपा से बालाघाट तथा परसवाड़ा सीट छीनी। वारासिवनी में भी उसने भाजपा के जीत के मंसूबे पूरे नहीं होने दिए। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी उसने भाजपा को 3 सीटों से आगे नहीं बढऩे दिया। कुछ ऐसा ही प्रदर्शन कांगेस का संसदीय चुनावों में रहा है। 1952 और 1957 के पहले 2 संसदीय चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस 1962 का चुनाव हार गई। इसके बाद 1967 और 1971 का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस 1977 में फिर हार गई। 1980 व 1984 की जीत के बाद 1989 में फिर एक बार कांग्रेस ने यह सीट खो दी। 1991 तथा 1996 में एक बार फिर लगातार 2 जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस 1998 के संसदीय चुनावों में ऐसे हारी की पिछले पांच चुनाव से वह जीत की आस ही लगाए बैठी है। इधर 46 साल के लंबे इंतजार के बाद भाजपा को 1998 में हुए 12 वीं लोकसभा के चुनावों में पहली जीत मिली। उसके लिए यह पहली जीत गौरींशंकर बिसेन ने हासिल की। यहां से शुरू हुआ भाजपा की जीत का सिलसिला अनवरत जारी है।
भाजपा ने रणनीतिक रूप से लगातार 6 चुनाव जीते
इस संसदीय सीट पर 1998 से अब तक लगातार 6 चुनाव जीतने के पीछे भाजपा की अपनी रणनीति रही, जो उसने 1991 व 1996 का चुनाव हार जाने तथा पहला चुनाव जीतने के बाद अपनाई। इस रणनीति के तहत उसने 1998 के बाद से अपना प्रत्याशी रिपीट नहीं किया। लगातार 2 चुनाव (1991 व 1996) हारने के बाद 1998 में गौरीशंकर बिसेन ने भाजपा को पहली और ऐतिहािसक जीत दिलाई। 13 महीने बाद ही 1999 में पुन: हुए संसदीय चुनावों में पार्टी ने इन्हें अवसर नहीं दिया। बाहरी प्रत्याशी के रूप में प्रह्लाद पटेल ने यहां से चुनाव लड़ा और भाजपा के लिए जीत हासिल की। 2004 में पार्टी ने गौरीशंकर को फिर आगे किया। वे जीते भी लेकिन 2009 में इनकी जगह केडी देशमुख को आगे कर भाजपा ने चुनाव जीता। इसके बाद 2014 में बोधसिंह भगत और 2019 में उसने ढाल सिंह बिसेन को चुनाव में उतार कर मैदान मार लिया। अपनी इसी रणनीति पर चलते हुए भाजपा ने एक बार फिर यहां प्रत्याशी बदला है। बदले हुए राजनीतिक माहौल तथा हालिया विधानसभा चुनाव में बालाघाट सीट पर मिली अप्रत्याशित हार के बाद भाजपा ने यहां पहली बार भारती पारधी के रूप में किसी महिला को संसदीय चुनाव में उतारा।
दमदार चेहरों के अभाव में कांग्रेस नहीं कर पा रही ‘कम बैक’
नेतृत्व की दूसरी पंक्ति तैयार नहीं करने का खामियाजा यहां कांग्रेस को संसदीय चुनाव में भुगतना पड़ रहा है। यही वजह है कि शुरूआती 11 (1952 से 1996 तक) में से 8 संसदीय चुनाव जीतने वाली कांग्रेस साढ़े तीन दशक से जीत को तरस रही है। पहली वजह भाजपा इस पर रणनीतिक रूप से भारी पड़ती रही और दूसरी वजह गिने-चुने चेहरों को छोड़ इसको चुनाव लडऩे लोग ही नहीं मिले। अब तक हुए 17 संसदीय चुनावों में ज्यादातर यह पुराने चेहरों को ही रिपीट करती रही। यही वजह रही कि इसके हाथ से बारबार जीत फिसलती रही। 1998 से तो इसकी हार का सिलसिला थम नहीं रहा। आपको आश्चर्य होगा अब तक हुए 17 संसदीय चुनावों में से 5 चुनाव विश्वेश्वर भगत ने और 5 चुनाव चिंतामन गौतम ने लड़े। गौतम एक चुनाव हारे तो भगत 3 चुनाव हारे। तीसरे नंदकिशोर शर्मा ने 3 चुनाव लड़े, जिसमें से एक हारे। बीच में उसने पुष्पा बिसेन (2004), हिना कांवरे (2014) तथा मधुभगत (2019) पर भी दांव लगाया लेकिन पवार और मरार के बीच फंसी कांग्रेस जीत हासिल नहीं कर सकी। इस बार जरूर उसने जातिगत समीकरणों को साधते हुए भाजपा के ओबीसी प्रत्याशी के सामने सामान्य वर्ग के सम्राट सरस्वार को उतारा है। देखना ये है कि कांग्रेस अपने इस नए गेम प्लान पर चलते हुए कम बैक कर पाती है या नहीं।
वोट प्रतिशत बड़ी चुनौती
वोट प्रतिशत कांग्रेस-भाजपा दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले 3 संसदीय चुनाव दौरान करीब 12 प्रतिशत (39.65 से 50.74) बढ़ा है। इसे बरकरार रखते हुए आगे बढऩा भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस इस मामले में बहुत पीदे है। 2019 के चुनाव में उसके प्रत्याशी को महज 2014 से भी करीब डेढ़ प्रतिशत कम (33.09) मत मिले थे। 2009 के चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी को 34.25 प्रतिशत मत मिले थे। यानि कांग्रेस दो दशक से 35 फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर पा रही है, जबकि भाजपा 50 के ऊपर पहुंच गई है।
परिदृश्य : बालाघाट लोकसभा सीट :
कुल मतदाता : 18,71,270 (पुरूष : 9,29,434 - महिला : 9,41,821 - थर्ड जेंडर : 15)
Created On :   25 March 2024 7:46 PM IST