आरोपी को दस साल का सश्रम कारावास

Ten years rigorous imprisonment to the accused
आरोपी को दस साल का सश्रम कारावास
नाबालिग का यौन शोषण आरोपी को दस साल का सश्रम कारावास

डिजिटल डेस्क, अकोला. मूर्तिजापुर ग्रामीण पुलिस स्टेशन में दाखिल अपराध मामले में आरोपी प्रवीण उर्फ तुकाराम कपुरचंद चव्हाण (24) को  नाबालिग मतीमंद बालिका का बार बार यौन शोषण कर उसे गर्भवती बनाने तथा गैरकानूनी तरीके से उसका गर्भपात कराने के अपराध में दोषी मानते हुए वि.प्रथम जिला सत्र न्यायाधीश श्रीमती शयाना पाटील के न्यायालय ने आरोपी को धारा 376 ( 1) (एन) व पोक्सो कानून धारा 5–6 में 10 साल सश्रम कारावास व 10,000 रूपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर दो माह की अतिरिक्त सजा आरोपी को भुगतनी पड़ेगी। आरोपी को धारा 506 में 7 साल सश्रम कारावास 5,000 रूपए जुर्माना, जुर्माना न भरने पर 1 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई। सभी सजा आरोपी को एक साथ भुगतनी होगी। आरोपी की बहन व अन्य दो आरोपियों को पुख्ता सबूतों के अभाव में उनके खिलाफ आरोपी साबीत न होने से उन्हें दोषमुक्त किया गया। आरोपी प्रवीण उर्फ तुकाराम कपुरचंद चव्हाण पीडिता के माता पिता मजदूरी के लिए बाहर जाने के बाद उसके साथ दुष्कर्म करता था। पीडिता के पेट में दर्द होने से आरोपी अन्य तीनों को लेकर अस्पताल गया व पीडिता के माता पिता को गुमराह कर गर्भपात करने के लिए उनकी अनुमति हासिल की लेकिन पीडिता से आरोपी के कृत्यों को लेकर जानकारी मिलने पर आरोपी के खिलाफ 18–06–2018 को मूर्तिजापुर ग्रामीण पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई। धारा 376 (2) (एन) व पोक्सो कानून की धारा 5–6 व अन्य धाराओं के तहत दोषारोप पत्र दाखिल कर विशेष सत्र मामला न्याय प्रविष्ट था।

आरोपी प्रवीण फरार होने के कारण अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला शुरु किया गया बाद में आरोपी प्रवीण उर्फ तुकाराम चव्हाण को गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ दोषारोप पत्र दाखिल किया गया। दोनों मामलों में एकत्रित रुप से फैसला लिया गया। मामले में अभियोग पक्ष की ओर से कुल 19 गवाहों को पेश किया गया। इस मामले की मुख्य गवाह पीडिता, उसके पिता अपने बयान से फिर गए लेकिन उनके पहले दिए गए बयान व अन्य साक्ष्य सबूतों के आधार पर इस प्रकरण में न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया। सरकार पक्ष की ओर से शुरुआत में सरकारी अधिवक्ता श्रीमती मंगला पांडे ने तथा बाद में सरकारी अधिवक्ता किरण खोत ने सरकार का पक्ष न्यायालय में प्रस्तुत किया। संदीप मडावी व धनंजय रत्नपारखी पुलिस उपनिरीक्षक ने इस मामले में जांच की थी। नारायण शिंदे एनपीसी व सीएमएस के काझी ने पैरवी अधिकारी के रूप में सहयोग किया।

Created On :   24 March 2022 5:19 PM IST

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