सैंपल देने वाले संदिग्धों की निगरानी की व्यवस्था नहीं

No system of monitoring the suspects who gave samples
सैंपल देने वाले संदिग्धों की निगरानी की व्यवस्था नहीं
बालाघाट सैंपल देने वाले संदिग्धों की निगरानी की व्यवस्था नहीं

डिजिटल डेस्क बालाघाट ।कोरोना का बढ़ता ग्राफ भय पैदा कर रहा है, लेकिन राहत की बात है कि जिले में अब तक कोरोना ने किसी की जान नहीं ली है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दिनों दिन बढ़ते आंकड़े चिंता का विषय है। भले ही जिले में कोरोना नियंत्रण के लिए प्रशासनिक, स्वास्थ्य विभाग तथा राजस्व विभाग के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। जनवरी के महज 14 दिनों में कोरोना कई गुना रफ्तार से बढ़ रहा है। एक तरफ जहां स्वास्थ्य विभाग जांच के दायरे को बढ़ाने की बात स्वीकार कर चुका है, वहीं जिले में संक्रमितों के मिलने का आंकड़ा दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। पढि़ए, जिले में जारी कोरोना सैंपलिंग, व्यवस्थाएं, प्रक्रिया तथा इसे लेकर प्रशासन की तैयारियों पर खास रिपोर्ट।
सैंपलिंग में संसाधन बढ़ाने की जरूरत 
जिले में सभी दसों ब्लॉक में बनी फीवर क्लिनिक में संदिग्धों के सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं। 1 से 14 जनवरी तक जिले में लगभग 12 हजार सैंपल कलेक्ट किए जा चुके हैं, लेकिन जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से एकत्र किए गए इन सैंपल को एक जगह एकत्र करने तथा इन्हें संयुक्त रूप से जांच के लिए भेजने में जिले में सीमित संसाधन हैं, जो बड़ी बाधा बन रहे हैं। जानकारी के अनुसार, दूरस्थ इलाकों से सैंपल कलेक्ट करने तथा इन्हें सम्मिलित रूप से जांच के लिए भेजने के लिए वाहनों की संख्या की कमी है। सीमित वाहन होने के कारण कई बार सैंपल भेजने तथा रिपोर्ट में मिलने में वक्त लगता है।
ये है जांच प्रक्रिया
कोविड सैंपलिंग के जिला प्रभारी अधिकारी डॉ. आशुतोष बांगरे ने बताया कि जिले में रोजाना 850 से 900 सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं, जिन्हें सभी फीवर क्लिनिक से इकठ्ठा कर सुबह 4 से 5 बजे जबलपुर स्थित आईसीएमआर लैब भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट मिलने में 24 घंटे या इससे अधिक समय लगता है। आईसीएमआर की नई गाइडलाइन के अनुसार, जबलपुर स्थित लैब में जिले के 500 सैंपल की ही जांच की जाती है। बाकी सैंपल को पुणे स्थित सुप्राटेक लैब भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट मिलने में दो से तीन दिन का वक्त लग रहा है।
सभी संक्रमित होम आइसोलेशन में
जिले में मिले संक्रमितों का फिलहाल होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है। विभागीय जानकारी के अनुसार, कोरोना की तीसरी लहर में कोरोना का असर भयावह या जानलेवा नहीं है और न ही अब तक किसी मरीज की स्थिति अस्पताल में भर्ती कराने लायक है। इसलिए अभी अस्पताल या कोविड केयर सेंटर में मरीजों को भर्ती नहीं किया गया है, बल्कि कोरोना मरीज हफ्तेभर में आवश्यक दवाएं लेकर स्वस्थ हो रहे हैं। विभाग का कहना है होम आइसोलेशन वाले मरीजों से कॉल सेंटर के माध्यम से लगातार फीडबैक लिए जा रहे हैं। स्थिति ज्यादा खराब होने पर उन्हें भर्ती कराया जाएगा।
घरों के सामने चस्पा की सूचना
जांच में कोरोना संक्रमित मिलने वाले मरीजों को सूचित कर उन्हें होम आइसोलेशन में रखा जा रहा है। इसके अलावा उनके घर के सामने मिनी माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाकर सूचना चस्पा की जा रही है। ताकि अन्य लोग हफ्तेभर उनके घर न जाएं और न ही वे घर से बाहन निकलें। इसके लिए बकायदा संबंधित क्षेत्र की हेल्थ टीम निगरानी रखे हुए है। 
बड़ी समस्या, सैंपल देकर घूम रहे संदिग्ध
कोरोना संक्रमितों के होम आइसोलेशन, इलाज सहित उन्हें समय पर दवाइयां देने के बावजूद बड़ी समस्या सामने आ रही है, वह है संदिग्धों का सैंपल देकर इधर-उधर घूमकर कोरोना संक्रमण को फैलाने की। दरअसल, फीवर क्लिनिक में सैंपल देने के बाद कई लोग रिपोर्ट आने तक घर पर खुद को आइसोलेट करने के बजाय यहां-वहां घूम रहे हैं। सैंपल देने वाले संदिग्ध को विभाग द्वारा घर पर रहने की भले ही हिदायत दी जा रही है, लेकिन इसकी निगरानी नहीं हो पा रही है। 
इनका कहना है
जिले में कोविड सैंपलिंग की संख्या को बढ़ाने की योजना है। अभी 850 से 900 सैंपल रोजाना लिए जा रहे हैं और समय पर जांच के लिए लैब भेजे जा रहे हैं। उन लोगों से अपील है कि सैंपल देने के बाद रिपोर्ट आने तक घर पर आइसोलेट रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें। जल्द ही जांच का दायरा बढ़ाकर इसे 1200 प्रतिदिन तक किया जाएगा।

Created On :   14 Jan 2022 5:17 PM IST

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