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हजार का नया बंडल 1400 में बिका, नए नोट रखने वालों को हुआ फायदा
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डिजिटल डेस्क, अकोला। व्यापारी वर्ग तथा रईस घरों में जहां सोने चांदी के साथ भारी भरकम नोटों की गड्डियां तथा तिजोरी की पूजा की जाती है। वहीं मध्यम तथा गरीब परिवार में अपनी क्षमता के अनुसार गृहस्वामी 100, 50 रूपए , 20, 10, 5 रूपए के नए नोट के बंडल पूजा के दौरान अपने मंदिर में रखते हैं। जिनका सामर्थ्य इतनी राशि भी रखने की नहीं है। वे एक रूपए के नोट का बंडल अपनी पूजा की थाली में अवश्य रखते हैं। जो गरीब हैं वे चंद सिक्के रखकर माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं। इसी मानसिकता का लाभ उठाकर इस बार 10 रूपए की नई नोट का बंडल 14 हजार रूपए में दिया गया। इस बंडल में 10 रूपए के एक हजार नोट अर्थात 100 नोटों के दस बंडल शामिल थे। मध्यम वर्गीय समाज में 10 रूपए का बंडल पूजा में रखने का प्रचलन है। लिहाजा एक बंडल पर 400 रूपए अतिरिक्त शुल्क देकर नागरिकों ने कई स्थानों से नए नोटों के बंडल खरीदे।
अग्रिम व्यवस्था
राष्ट्रीयकृत बैंकों में जिनकी पहचान है ऐसे लोग अग्रिम तौर पर नए नोटों के बंडल दीपोत्सव के कुछ दिन पहले ही संकलित कर लेते है। इसलिए दीपावली के कुछ दिन पूर्व यदि आम व्यक्ति या खाताधारक बैंक में जाकर दस, पांच या बीस रूपए के नए नोट का बंडल मांगता है तो बैंक की ओर से इन्कार किया जाता है। जिससे आम नागरिक इस दौर में नए नोट के बंडल हासिल नहीं कर पाते। जबकि शहर में कई स्थानों पर पूजा के लिए नए नोटों के बंडल ऑन पर उपलब्ध होते हैं। जो मांग के अनुरुप कीमत बढ़ाते हैं। इस बार दस रूपए की नोट का एक बंडल जो कि एक हजार रूपए का होता है उसके लिए चौदह सौ रूपए तक देने पड़े। जबकि बीस रूपए के नए बंडल के लिए 2600 रूपए अर्थात छ: सौ रूपए अधिक देने पड़े। इसलिए आम मध्यम वर्गीय घरों ने अपने परिचितों एवं हमेशा के व्यापारियों के पास से नए नोटों के बंडल उतनी ही कीमत में लिए जितनी उसकी कीमत थीं। अलबत्ता कई घरों में पचास रूपए, पांच रूपए तथा दो रूपए के बंडल इस बार अधिक इस्तेमाल किए गए।
Created On :   8 Nov 2021 5:12 PM IST