जगदलपुर : सांड्रा की महिलाएं हो रही सशक्त, अगरबत्ती-धूपबत्ती बनाकर जुड़ रहीं स्व-रोजगार से

डिजिटल डेस्क, जगदलपुर। बस्तर कि अगरबत्तियों से महकेगा प्रदेश विभिन्न रोजगार एवं स्व-रोजगार उन्मुखी प्रशिक्षणों का संचालन बस्तर जिला में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’’बिहान’’ के माँ दंतेश्वरी और माँ गायत्री स्व-सहायता समूह द्वारा रोजगार व स्व-रोजगार से महिला समूह को जोड़ने के लिए किया जा रहा है। जिला प्रशासन के दिशा निर्देश व मार्गदर्शन में समूह की महिलाओं को स्व-रोजगार, आजीविका एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु जिले में अनेकों प्रशिक्षणों का संचालन किया जा रहा है। इस कड़ी में विकासखंड बकावंड के ग्राम सांड्रा की महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को हस्त निर्मित धूपबत्ती एवं अगरबत्ती बनाना सिखाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मशीन द्वारा निर्मित अगरबत्तियों कि अपेक्षा लोगों में हस्त निर्मित अगरबत्तियों कि मांग ज्यादा है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री इंद्रजीत चंद्रवाल के मार्गदर्शन में एनआरएलएम द्वारा ग्राम सांड्रा की तीस जरुरतमंद महिलाओं को हस्त निर्मित अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान ही उन्हें बाजार कि मांग और आपूर्ति, भण्डारण एवं खाताबही के विषय में भी सिखाया जा रहा है साथ ही निर्मित सामग्रियों को प्रायोगिक तौर पर जिले के हाट-बाजारों एवं दुकानों में प्रशिक्षु महिलाओं द्वारा विक्रय हेतु रखा जा रहा है। महिलाओं को व्यापार कि बारीकियों को समझाया जा रहा है। जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफार्म में भी महिला स्व-सहायता द्वारा निर्मित अगरबत्ती और धूपबत्ती को उपलब्ध करवाया जाएगा। एनआरएलएम के नोडल अधिकारी नेहा देवांगन ने बताया कि विगत दिनों जिले में आयोजित मड़ई और मेलों में महिलाओं द्वारा अगरबत्ती विक्रय हेतु स्टाल भी लगाया गया था। इस दौरान महिलाओं ने लोगों से सुझाव भी ले रही थी ताकि आवश्यकता अनुसार गुणवत्ता में सुधार भी किया जा सके। हस्त निर्मित अगरबत्तियों को काफी अच्छा प्रतिसाद मिला जिससे महिलाओं का उत्साह बढ़ना लाजमी है। बाजार से हट कर बस्तर धूप, लोभान, जड़ी बूटी, मच्छर अगरबत्ती एवं गाय के गोबर से धूपबत्ती का निर्माण किया जा रहा है। इन अगरबत्ती और धूपबत्ती से वातावरण शुद्ध और सुगंधित होता है, एकाग्रता बढ़ती है, कीटाणुओं का नाश होता है, पूजा पाठ, प्राथना और ध्यान में सहायक होते है। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि गाय के सुखे गोबर जलाने से वातावरण मे ऑक्सिजन की मात्रा में वृद्धि होती है तथा कीटाणुओं, फंगस, वायरस का नाश होता है। कोरोना काल में आयुष मंत्रालय ने भी घर आफिस में धूप जलाने का भी दिशा निर्देश दिया है। इस कारण इन धूपबत्ती और अगरबत्तियों का महत्व और भी बढ़ जाता है। इन अगरबत्ती और धूपबत्ती के निर्माण में शुद्ध प्राकृतिक तत्वों से निर्माण किया जा रहा है तथा हानिकारक रसायनों से मुक्त है। इन अगरबत्ती और धूपबत्ती को बाजार में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। जिला प्रशासन के इस पहल से समूह की महिलाओं के आय में वृद्धि हुई है।
Created On :   3 Feb 2021 1:45 PM IST