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बांधवगढ़ नेशनल पार्क के जल स्रोत सूखे, वन्य जीवों को पानी पीने 8 से 10 किमी दूर जाना पड़ रहा
डिजिटल डेस्क, उमरिया। बांधवगढ़ नेशनल पार्क क्षेत्र में गर्माहट और ताममान इतना बढ़ा कि यहां के तालाबों और भू-जल स्रोतों से पानी गायब हो गया। 70 फीसदी से ज्यादा वॉटर सोर्स सूख चुके हैं। जो प्राकृतिक जल स्रोत हैं उनमें भी करीब पंद्रह फीसदी पानी ही बचा है। बावजूद इसके बीटीआर प्रबंधन का दावा है कि पार्क एरिया में कहीं जल संकट नहीं है। हकीकत यह है कि प्रति चार स्क्वायर किमी के मान से स्थापित करीब 160 जल स्रोतों में से केवल 45 में पानी है। करीब 80 जल स्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं जबकि 35 स्रोतों में नाम मात्र का पानी है। प्राकृतिक और अ्रप्राकृतिक जल स्रोतों में पानी नहीं होने के चलते वन्य जीवों को पानी पीने 8 से 10 किमी की दूरी तय करनी पड़ रही है। जहां-कहीं थोड़ा सा भी पानी नजर आता है, बंदर, चीतल, बारहसिंघा व हिरण आदि जमघट लगा कर बैठ जाते हैं। सबसे दुरूह स्थिति पतौर-पनपथा इलाके में नजर आती है। खितौली में भी स्थिति सुखद नहीं है। यहां पानी का इतना संकट है कि वन्यजीव बस्ती की ओर रूख करने लगे हैं। जिन सैकड़ा भर से अधिक तालाबों, पोखरों व वाटर पाइंट्स का पानी सूख चुका है वहां दो दिन छोड़ कर टैकर के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है। लेकिन पानी डाला जाता नहीं कि गायब हो जाता।
विशेषज्ञ बोले जल संकट का कारण रेतीली जमीन
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को लंबे समय तक अपनी सेवाएं देने वाले वन्य प्राणी विशेषज्ञ और बीटीआर के रिटायर्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक पार्क एरिया में लगभग हर साल गहराने वाले जल संकट की मुख्य वजह पार्क एरिया की जमीन रेतीली होना बताते हैं। श्री पाठक के मुताबिक अप्रैल से जून माह के बीच तापमान बढऩे और भूमि रेतीली होने के कारण पानी जल्दी सूख जाता है। गरमी के आखिरी पंद्रह-बीस दिन जल संकट ज्यादा रहता है। वन्य जीवों को पानी मिल सके इसके लिए टैकरों के जरिये पानी जल स्रोतों में डाला जाता है लेकिन वह भी जल्दी सूख जाता है। लेकिन वह पानी व्यर्थ नहीं जाता क्योंकि वह कहीं न कहीं किसी न किसी गांव के कुएं व हैण्डपंप में पहुंच रहा होगा। यह स्थिति मानसून आने तक बनी रहती है।
फैक्ट फाइल
कुल पार्क एरिया : 1596 वर्ग किलोमीटर
कुल जल स्रोत : 160
पूरी तरह सूख चुके : 80 स्रोत
बहुत कम पानी वाले : 35 स्रोत
पर्याप्त पानी वाले : 45 स्रोत
इनका कहना है
गर्मी में पानी सूख जाता है लेकिन कहीं ऐसी स्थिति नहीं है कि पानी नहीं हो। 28 सौर बोरवेल और 40 सौर वाटर होल्स में पर्याप्त पानी है। हमारी टीम लगातार मॉनीटरिंग कर रही है। जहां भी पानी की कमी की जानकारी मिलती है, टैंकर्स के जरिए पानी पहुंचा कर उनमें पानी डाला जा रहा है। - अनिल शुक्ला, एसडीओ बीटीआर
Created On :   13 Jun 2019 12:06 PM GMT