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डोली उठने से पहले उठ गई पिता की अर्थी, दो घरों में खुशियों से पहले ऐसे पसरा मातम
डिजिटल डेस्क, रामटेक। दो एसी घटनाएं जिसमें बेटियों के सिर से बाप का साया उस वक्त उठा, जब खुशियां घर पर दस्तक दे रही थी। बेटियों को जैसे ही पता चला कि पिता अब इस दुनियां में नहीं, उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पहले मामले में एक पिता को बेटी के अव्वल आने की खुशी नसीब नहीं हुई, तो दूसरे मामले में बेटी की डोली उठने से पहले ही पिता की अर्थी उठ गई। दर्द भरी यह दास्तान विदर्भ के दो अलग-अलग शहरों से सामने आई।
कुरखेड़ा तहसील के लेंढ़ारी गांव में रहने वाले अनिल शेंडे नामक युवक के साथ बिटिया का विवाह तय हुआ था। शादी की तारीख 30 मई रखी गई थी। अपनी तरफ से कोई कमी पेशी न हो, विजय तैयारियों में रात-दिन काम कर रहे थे। घर की परिस्थिति खराब होने के कारण वे लोगों से मदद की गुहार भी लगा रहे थे। इसी बीच हीरा राऊत नामक व्यक्ति ने विवाह के लिए मदद का हाथ बढ़ाया। जिससे बोरकर को कुछ हद तक राहत मिली। पत्रिका बांटने के साथ ही आवश्यक सामग्री जुटाते समय विजय को लू लग गई। जिसके दूसरे ही दिन मंडपपूजा थी, उसी दिन ही बेटी ने पिता की चिता को अग्नि दी। शादी के मंडप में शोक पसरा था। पिता की अस्थिविसर्जन कर बेटी सिसकती हुई डोली में बैठकर पिहर घर चली गई।
उधर गडचिरोली के कोरची में एक बेटी पिता की अस्थिविसर्जन कर डोली में बैठी। विवाह तय होने के बाद तैयारियों में कोई कमी न हो और बेटी की झोली सदा खुशियों से भरी रहे, इसे लेकर पिता ने भरी गर्मी में ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन बेटी विदा होते देखना शायद नियति को मंजूर नहीं था। विवाह के दो दिन पहले ही पिता की लू लगने से मौत हो गई। विजय बोरकर कबाड़ी का व्यवसाय करते थे और उनकी पत्नी लोगों के घरों में बर्तन और कपड़े धोकर अपने पति का सहयोग कर रही थी। दिल में चाह थी कि बेटी "रानी"को विदा होते देख लें।
पहली घटना रामटेक की हैं, जहां बारहवीं कक्षा में प्रथम आने की खबर मिलने के कुछ समय पहले ही एक छात्रा के सिर से पिता का साया उठ गया। वो अव्वल तो आई. लेकिन उसे शाबासी देने वाला पिता अब इस दुनिया में नहीं था। उसके पिता लापता थे। पूरा परिवार तलाश में परेशान था। इसके बाद खबर मिली कि पिता का शव मिला है। मंगलवार को शिक्षक ने जह छात्रा से मुलाकात कर उसे अव्वल आने की खबर सुनाई, तो छात्रा ने रुंधे गले से कहा पिताजी की मौत हो गई है सर….मैं कुछ नहीं बोल सकती। पल्लवी कवडू वंजारी समर्थ विद्यालय की होनहार छात्रा है। पेपर अच्छे जाने से काफी खुश थी। इसके बाद जब किसान पिता वंजारी घर नहीं आए। तो चिंता में रात गुजारी। मंगलवार को परीक्षा परिणाम आने वाला था। उसी दिन सुबह गांव के पास से नहर में कवडू का शव मिलता है। बेटी वोकेशनल क्रॉप साइंस शाखा में 83.85 प्रतिशत अंक प्राप्त कर तहसील में प्रथम आ गई। पिता खेती बाड़ी कर बच्चों का पेट पाल रहे थे। तीन लड़कियां हैं। दो की शादी हो गई, एक की पिछले महीने ही डोली उठी, पल्लवी घर में सबसे छोटी है। उसकी खुशियां अचानक मातम में बदल गई।
Created On :   30 May 2019 8:45 PM IST