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विकास का मार्गदर्शन, जीवन में अनुशासन और शिक्षा: राम अखत्यार
डिजिटल डेस्क,भोपाल। विद्या या ज्ञान सिखाने के साथ साथ जीवन में आदर्श व्यवहार का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षक हज़ारों में एकाध मिलते है। सेवा,श्रम,सादगी,समर्पण, सहानुभूति,ईमानदार, उच्च मानवीय गुणों को समेट कर रखने वाले साधारण शिक्षक रामअखत्यार सिंह हांकरे सरकारी शिक्षक के अपने उत्तर दायित्व से तो रिटायर हो गए लेकिन छात्रों के जीवन और समाज में जीवन पर्यंत सदैव कार्यरत बने रहेंगे।
16 मई 1961 को छीछावली गांव के श्री जोधाराम के साधारण परिवार में पैदा हुए रामअखत्यार ने पड़ोस के ही गांव दतहरा से प्रथम श्रेणी में हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की। सरकारी शिक्षक के रूप उन्होंने अपनी सेवा की शुरुआत विजयपुर के सरकारी स्कूल से की। तत्पश्चात जिस स्कूल में उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई उस स्कूल में पढ़ाने लगे। उन्होंने दो दशक से अधिक समय तक दतहरा स्कूल में सेवा दी। इसके बाद उनका ट्रांसफर बडोखर और लभन पुरा हुआ, जहाँ से बड़े हर्षोल्लास उत्साह जश्न के रूप उनकी सेवानिवृति का विदाई समारोह हुआ। उनके विदाई समारोह में दैनिक भास्कर के वरिष्ठ उप संपादक, राजनैतिक विश्लेषक , असिस्टेंट प्रोफेसर व मनोवैज्ञानिक डॉ आनंद जोनवार मौजूद रहे। अपने शैक्षणिक कार्यकाल में एक सफल शिक्षक के रूप में उन्होंने सदैव अपने छात्रों के जीवन पर लंबे समय तक प्रभाव डालने का काम किया। और एक महान शिक्षक के रूप में हमेशा छात्रों को उच्च सफलता की ओर प्रेरित किया।
छात्रों में प्रभावी शिक्षण के साथ साथ विकास का मार्गदर्शन प्रदत्त कर , जीवन में अनुशासन की सीख दी।अध्यापक के उत्तरदायित्व में वे आदर्शशिक्षक की परिभाषा में एक दम फिट बैठते है। उन्होंने विद्यार्थियों को सही शिक्षा, प्रेरणा, सहनशीलता, व्यवहार में परिवर्तन तथा मार्ग प्रदान किया और उनके भविष्य को उज्जवल बनाया। शिक्षक के रूप में उनकी भूमिका हमेशा एक सूत्रधार की बनी रही। शिक्षार्थियों को प्रेरित करने, प्रोत्साहित करने और शिक्षित करना उनका पेशा सदैव बना रहा।
चार दशक से अधिक समय से गुरुजी के रूप में हजारों स्टूडेंट के मन में सीखने की इच्छा को जागृत किया, तो सेवार्थी के रूप में तपती धूप में मोरेना स्टेशन में लाखों यात्रियों को जल सेवा से तर किया। अपने कर्तव्य पथ पर चलने वाले ऐसे शिक्षक विरले ही मिलते है। एक समाज सेवक के रूप में उनका कहना है कि हर समस्या का समाधान विचार विमर्श से करना चाहिए।
शिक्षक के पेशे को आदर्श रुप में अपनाकर स्टूडेंट, स्कूल और सामाजिक जीवन में निस्वार्थ व समर्पित भाव से अपनी सेवा दी। एक सरकारी सिस्टम से भले ही वो सेवानिवृत हो गए हो लेकिन छात्रों जीवन से कभी भी रिटायर नहीं हो सकते।
Created On :   2 Jun 2023 7:03 PM IST