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भोपाल: भाषा, साहित्य और संस्कृति से महकेगा- विश्वरंग 2023
- 50 देश, 50 सत्र और 500 प्रतिभागी
- अंतरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र की स्थापना होगी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। साहित्य, संस्कृति और कलाओं के इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर विश्वरंग महोत्सव 2023 अपनी व्यापक गतिविधयों के बीच 21 से 24 दिसंबर के दरमियान आयोजित किया जा रहा है। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की मेजबानी में होने वाले इस विराट समागम में भारत सहित दुनिया के पचास से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। पाँचवा सोपान तय करता 'विश्वरंग' इस बार हिन्दी अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य की पड़ताल करता अन्य भारतीय भाषाओं के बीच एक बड़े सांस्कृतिक संवाद का मंच बनेगा। कथाकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री भारत सरकार रमेश पोखरियाल निशंक समारोह का उद्घाटन करेंगे। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी, विश्व हिन्दी सचिवालय की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी तथा वैश्विक हिन्दी संसार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी सहित देश - विदेश की अनेक गणमान्य विभूतियों की उपस्थिति इस अवसर को गरिमा प्रदानकरेगी। इस बार यह महोत्सव रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के विशाल प्रांगण में होगा।
54 देशों पर आधारित विश्व हिन्दी रिपोर्ट का लोकार्पण होगा
यह जानकारी विश्वरंग के महानिदेशक और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति शिक्षाविद् श्री संतोष चौबे ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए दी। इस अवसर पर 'विश्वरंग' के सह-निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, श्री लीलाधर मंडलोई, श्री मुकेश वर्मा, गेट सेट पेरेंट चिल्ड्रन लिटरेचर की कन्वीनर डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी, आरएनटीयू के कुल सचिव डॉ. विजय सिंह और विश्वरंग के सांस्कृतिक समन्वयक श्री विनय उपाध्याय ने भी गतिविधियों की जानकारी दी। श्री संतोष चौबे ने बताया कि भाषा, साहित्य और कलाओं के साथ ही विज्ञान तथा तकनीक से जुड़े सभी अनुशासनों पर केन्द्रित विषयों के करीब 50 सत्र शामिल करते हुए विश्व के नए उभरते मानचित्र को पहचानने की कोशिश 'विश्वरंग' के इस पाँचवें संस्करण में होगी। भाषा उत्सव, साहित्य उत्सव, रंग उत्सव और कला उत्सव के विभिन्न प्रकल्पों को रचते हुए एक बहुरंगी परिवेश निर्मित होगा। इस बार की एक विशेषता 54 देशों को शामिल करते हुए विश्व में हिन्दी रिपोर्ट का लोकार्पण होगी जो विश्व भर में हिन्दी के प्रचार प्रसार का एक आकलन पेश करेगी। जिसे वहीँ के लेखकों की मदद से तैयार किया गया हैं।
उन्होंने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति की बहुआयामी सृजनशील दुनिया को अपने समय में होने और उसके प्रति रुचि, उन सरोकारों से जुड़ने की मंशा, अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों में मानवीय जीवन और जगत का बहुरंगी फलक उत्साह और जिज्ञासाओं को एक नये परिवेश को रचने की उत्सवी आकांक्षा है: विश्वरंग। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, डॉ. सी. वी. रामन विश्वविद्यालय, वनमाली सृजनपीठ और टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र सहित सौ से भी अधिक साहित्यिक - सांस्कृतिक संस्थाओं के संयुक्त संयोजन में ‘विश्वरंग' ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच वैचारिक संवाद एवं संस्कृति परम्परा के लिए वैश्विक स्तर पर अमिट छाप छोड़ी है, किसी निजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया जाने वाला विश्व का यह अनूठा सांस्कृतिक महोत्सव बन पड़ा है।
विश्व में हिंदी भाषा का शिक्षण पर होगा जोर
सत्रों में एक पूरा दिन 22 दिसंबर हिन्दी भाषा और शिक्षण पर होगा। जिसमें देश-विदेश के शिक्षाविद् बाचचीत करेंगे। विदेशों में हिन्दी शिक्षण के अनुसार हिन्दी भाषा शिल्प में साहित्त्य की भूमिका, हिन्दी भाषा शिक्षण में कलाओं और फिल्मों की भूमिका, विश्वविद्यालयों में हिन्दी शिक्षण की चुनौतियाँ जैसे विषयों पर बातचीत होगी। इन विषयों पर अपने विचार रखने के लिये देश-विदेश के प्रमुख शिक्षाविद् और प्रवासी साहित्यकार जिनमें प्रमुख हैं - डॉ. पुष्पिता अवस्थी, पद्मेश गुप्त (यू.के.) दिव्या माथुर, (लंदन), अनूप भार्गव (यूएसए), अतिला कोतवाल (श्रीलंका), अनिल जोशी व्यास, कुमुद शर्मा, डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण, जितेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. जवाहर कर्नाटक, डॉ. राकेश सेठी, डॉ. विकास दवे, मनोज श्रीवास्तव 'भारत' सहित अनेक शिक्षाविद्-साहित्यकार अपनी बात रखेंगे।
कहानी पर होंगे दस से अधिक सत्र
एशियाई कहानी के परिदृश्य में पश्चिम एशियाई दास्तानगोई की परम्परा, अनुवाद का वर्तमान परिदृश्य, उपन्यास की वैश्विक परम्परा के साथ युवाओं की रचनात्मक गतिशीलता पर आधारित युवा कहानी पाठ होगा। सत्रों के अलावा कहानी लिखने और कहने की कला, समकालीन कविता, लोकप्रिय साहित्त्य समकालीन प्रवासी साहित्य, लेखक की दुनिया साहित्य और इलेक्ट्रानिक मीडिया जैसे सत्रों में भारत के वरिष्ठ एवं युवा साहित्यकार अपनी बात को रखेंगे। भारत के साहित्यकारों में वरिष्ठ साहित्यकार, अरविंदाक्षन, नासिरा शर्मा, उषाकिरण खान, खुर्शीद आलम, प्रो. राजकुमार, मधु बी जोशी, अखिलेश, राकेश बिहारी, डॉ. विनोद तिवारी, संतोष चौबे, मुकेश वर्मा, लीलीधर मंडलोई, नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, प्रियम अंकित, सविता पाठक, विनय उपाध्याय, स्वरांगी साने, निर्मला डोसी, साधना बलवटे, इंदिरा दांगी, नीतू मुकुल आदि भागीदारी करेंगे। 24 दिसंबर को साहित्यिक सत्रों में 'लेखक से मिलिए' कार्यक्रम में उषा किरण खान, नासिरा शर्मा, संतोष चौबे, अखिलेश और नीलेश रघुवंशी से साहित्य की दुनिया में रूबरू होंगे।
विश्वरंग की अवधारणा स्पष्ट करते हुए श्री संतोष चौबे ने कहा कि 'विश्वरंग शिक्षा, साहित्य और भाषा में काम करने वाले रचनाकारों के बीच वैश्विक विमर्श की शुरुआत है देश-विदेश के लगभग 150 से अधिक विश्वविद्यालय एवं सस्थाएं इसमें शामिल है जिसमें आगामी बातचीत एवं शैक्षणिक नेटवर्क का निर्माण इस कार्यक्रम का हासिल होगा। देश-विदेश से लगभग 500 से ज्यादा शीर्षस्थ रचनाकार इसमें शामिल हो रहे है। उम्मीद है उनके बीच संवाद का रिश्ता बनेगा और हिन्दी भारतीय भाषाओं को केन्द्रीयता प्रदान करने का प्रयास किया जायेगा।
करीब पैंतीस पुस्तकों का प्रकाशन एवं लोकार्पण पर आधारित संकलन भी हैं
देश के प्रसिद्द चित्रकारों पर आधारित मोनोग्राफ्स, विश्व कविता संचयन, एवं कला विमर्श केन्द्रित पुस्तकों के अतिरिक्त देशी, विदेशी साहित्य एवं प्रकाशन भी होंगे। दस्तावेजीकरण ‘विश्वरंग' का एक प्रमुख लक्ष्य रहा है। विश्वरंग 2022 तक आते-आते कई ऐसे प्रयास किये गये हैं जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हिन्दी की लगभग 200 वर्षों की कथा परम्परा को समेटते हुए, 600 से अधिक कथाकारों तथा आलोचकों के साथ, 18 खंडों में 'कथादेश' का प्रकाशन, अविभाजित मध्यप्रदेश 6 खण्डों में 'कथा मध्यप्रदेश' का प्रकाशन और भोपाल के 187 कथाकारों के साथ, 'कथा भोपाल' का प्रकाशन दस्तावेजीकरण के ऐसे ही महत्ती प्रयास है । हिन्दी में विज्ञान कथाओं की जरूरत को महसूस करते हुए 6 खंडों में, 'विज्ञान कथा कोश', विज्ञान कविताओं को 3 खण्डों में 'विज्ञान कविता कोश', एवं बच्चों की दुनिया को समृद्ध बनाते हुए 11 खंडों में 'बाल कविता कोश' का भी प्रकाशन किया गया है। जहाँ 'विश्वरंग' पत्रिका वैश्विक संदर्भों को समेटती त्रैमासिक पत्रिका है वहीं ‘वनमाली कथा' कथा केन्द्रित पत्रिका है जिसने थोड़े ही समय में 'कथा विश्व' में अपना स्थान बनाया है । कला पर केन्द्रित ‘रंग संवाद' पिछले बारह वर्षों से प्रकाशित पुरस्कृत पत्रिका है। इसी को जारी रखते हुए इस वर्ष करीब ३५ पुस्तकों का प्रकाशन/ लोकार्पण विश्वरंग के दौरान किया जा रहा हैं, जिसमे नीदरलैंड, ब्रिटेन, कनाडा, फ़िजी, सिंगापुर, रूस और यु.ए.ई शामिल हैं।
वैश्विक विमर्श
विश्वरंग में 23 दिसंबर को महत्त्वपूर्ण सत्र हमारी धरती, हमारा भविष्य, विषय पर केन्द्रित होंगे। कविता, कहानी, उपन्यास, चित्रकला फिल्म और संगीत के माध्यम से प्रकृति, पर्यावरण तथा जीवनगत अन्य सरोकारों पर अग्रणी रचनाकार तथा आलोचक अपने विचार व्यक्त करेंगे।
विश्वरंग सम्मान
'विश्वरंग' का एक उल्लेखनीय और विशिष्ट आयाम होता है विश्वरंग सम्मान। इस बार यह सम्मान डॉ. धनंजय वर्मा (हिन्दी), डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा (उर्दू), मनोरंजन ब्यौपारी (बांग्ला), वसंत आबा डहाके (मराठी), सुजाता चौधरी ( उड़िया / अंग्रेजी), प्रो. कोलकपुरी एनाक (तेलगू), महादेव टोप्पो (हिन्दी कुडुख) को प्रदान किये जायेंगे।
लोक का समावेश
लोक जनजातीय, शास्त्रीय और सुगम संगीत तथा नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियाँ भी हर वर्ष की तरह विश्वरंग के सांस्कृतिक फलक को रंगोमहक से सरोबार करेंगी। राजस्थान के प्रसिद्ध मांगणिहार लोक गायन, मध्यप्रदेश का भगोरिया जनजातीय नृत्य, मालवा का लोक नृत्य और संगीत, श्री जानकी बैंड, साधो बैंड की संगीत प्रस्तुतियों के अलावा तालवाद्य कचहरी 'मध्यलय', प्रख्यात गायिका प्रतिभासिंह बघेल की संगीत सभा, महेश, अमित, ऋषभ की वायोलीन तिगलबंदी, साक्षी शेवलीकर का मोहन वीणा वादन आदि भी आकर्षण का केन्द्र होंगे। 'विश्वरंग 2023' के वैचारिक सत्र तथा सांस्कृतिक गतिविधयाँ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के शारदा सभागार, कथा सभागार, वनमाली सभागार, मंथन सभागार तथा शांति निकेतन परिसर में आयोजित किये जायेंगे।‘विश्वरंग' में शामिल होने के लिए विश्वरंग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। प्रवेश निःशुल्क है।
कला उत्सव
विगत चार वर्षों की ही भाँति इस वर्ष भी विश्वरंग 2023 में चित्रकला पर केन्द्रित गतिविधियों में सबसे महत्वपूर्ण टैगोर राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी है। इस वर्ष इस प्रदर्शनी में पूरे देश से लगभग 900 चित्रकारों के 2500 चित्र प्राप्त हुए थे, जिनमें से निर्णायकों ने पाँच चित्रकारों को 'टैगोर सम्मान-2023' के लिए चुना । श्री शेरिंग नेगी (हिमाचल प्रदेश), श्री स्वपन पंडित (पश्चिम बंगाल), सुश्री पद्मा कर्मकार (वडोदरा ), श्री जॉन जोसफ (कोच्चि) और श्री जोएल गिल (नई दिल्ली) को उनकी कृतियों के लिए 'विश्वरंग - 2023' में सम्मानित किया जाएगा। 2019 से ही टैगोर राष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी ने प्रांतीय संकीर्णता से परे जाकर विभिन्न छोटे-बड़े शहरों के युवा चित्रकारों को आकर्षित किया है और इतने कम समय में देश के किसी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सबसे महत्वपूर्ण कला प्रदर्शनी के रूप में अपने को स्थापित कर लिया है। इसके साथ-साथ 5वीं ‘टैगोर राष्ट्रीय कला संगोष्ठी 2023' के लिए स्वतंत्र भारत में आधुनिक चित्रकला की दशा एवं दिशा विषय पर देश भर से 40 से भी ज्यादा युवा कला शोधार्थी और कलाकार भाग लेंगे।
विश्वरंग 2023 में कला पर कई महत्वपूर्ण प्रकाशन किए जा रहे हैं। चित्रकार सुधीर पटवर्धन के जीवन और कला पर हिंदी में पहली बार एक वृहदाकार मोनोग्राफ का प्रकाशन किया जा रहा है। साथ ही राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सम्मिलित शोध पत्रों के तीन संचयनों - ' भारतीय चित्रकला का इतिहास: एक सिंहावलोकन, भारतीय चित्रकला का नारी परिपेक्ष्य' और 'भारतीय चित्रकला में अमूर्तन' का लोकापर्ण भी किया जाएगा। इस वर्ष राष्ट्रीय कला संगोष्ठी में कला समीक्षक श्री महावीर वर्मा ' भारतीय चित्रकला का नारी परिप्रेक्ष्य' और डॉ. राखी कुमार ‘तंत्र कला और कला का तंत्र' विषय पर अपनी विशेष पावर पॉइंट प्रस्तुतियाँ देंगे। इन प्रस्तुतियों के साथ ही डॉ. कुमार अनुपम और श्री विनय उपाध्याय चित्रकार सुधीर पटवर्धन के जीवन और कला पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
बाल चित्रकला प्रतियोगिता के अलावा देश के प्रतिष्ठित कला शिक्षकों द्वारा विशेष रूप से बच्चों के लिए छापाचित्र, जलरंग, पेपर-मैशे और क्ले मॉडलिंग पर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा। कलागुरु श्री जयकृष्ण अग्रवाल, कला समीक्षक श्री अखिलेश निगम, अवधेश अमन (पटना), लखनऊ कला महाविद्यालय के प्राचार्य श्री रतन कुमार और देश के विभिन्न प्रदेशों से आमंत्रित अनेक युवा एवं प्रतिष्ठित चित्रकार भी 'विश्वरंग - 2023' में उपस्थित रहेंगे।
Created On :   18 Dec 2023 7:13 PM IST