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शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव: वन नेशन, वन डेटा से आसान होगा एक्रिडिटेशन, एप्रूवल एवं रैंकिंग सिस्टम - प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर में आईसेक्ट और सृजन संस्था के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की विनियमन प्रक्रिया में उन्नयनीकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को कुशाभाऊ ठाकरे कंवेंशन सेंटर (मिंटो हाल) में किया गया। इस कार्यशाला में हाल ही में नैक की ग्रेडिंग प्रणाली में होने वाले बदलावों को लेकर चर्चा की गई जिसमें नैक की विनियमन प्रक्रिया में सुधार और शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव“ विषय पर नैक के चेयरमैन डॉ. अनिल सह्स्त्रबुद्धे ने अपने अनुभव और विचार साझा किए। वे कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता श्री संतोष चौबे, चेयरमैन आईसेक्ट ने की। इसके अलावा अन्य अतिथियों में डॉ अमोघ कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, सृजन, डॉ. भरत शरण सिंह, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, श्री प्रसन्न शर्मा, अध्यक्ष निवेदिता सोसायटी उपस्थित रहे। इस दौरान अनिल सहस्त्रबुद्धे जी ने नैक की एक्रिडेटेशन की प्रक्रिया में किए जा रहे बदलावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने ग्रेडिंग सिस्टम की जगह जून से लागू होने वाली बाइनरी एक्रिडिटेशन और मेच्योरिटी बेस्ड ग्रेडेड एक्रिडिटेशन के विविध पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाइनरी एक्रिडिटेशन में ग्रेड के स्थान पर संस्थान को एक्रिडेटेड या नॉन एक्रिडेटेड किया जाएगा। बाइनरी एक्रिडिटेशन के अलावा संस्थानों के पास विकल्प होगा कि वे मेच्योरिटी बेस्ड ग्रेडेड एक्रिडिटेशन में लेवल 1 से लेवल 5 तक अप्लाई कर सकते हैं जो संस्थान की उत्कृष्टता को दर्शाएगा।
साथ ही उन्होंने भविष्य में वन नेशनल वन डेटा की बात करते हुए कहा कि अभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने एक्रेडिटेशन, एप्रूवल्स, रेकिंग इत्यादि के लिए साल में कई बार विभिन्न विनियामक संस्थानों को डाटा भेजना पड़ता है, भविष्य में हम ऐसे प्रावधान की ओर अग्रसर हैं जिससे एक ही बार डाटा भेजकर प्रक्रियाओं को पूरा किया जा सकता है। इससे अलग—अलग बार डाटा देने पर जानकारियों में आने वाली भिन्नता दूर होगी और समय की भी बचत होगी।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए संतोष चौबे ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को एक समान पैरामीटर पर नहीं देखना चाहिए ऐसे में नैक द्वारा किए जा रहे विश्वविद्यालयों का वर्गीकरण एक सराहनीय पहल है। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में कौशल विश्वविद्यालय, डिजीटल विश्वविद्यालय भी अलग कैटेगरी के रूप में उभर रहे हैं। ऐसे में मुझे आशा है नैक ने इन्हें भी अपने वर्गीकरण में शामिल किया होगा।
वहीं दूसरे सत्र में डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे के साथ डॉ अमिताभ सक्सेना, प्रसिद्ध शिक्षाविद, डॉ एन के तिवारी, डॉ डी के स्वामी उपस्थित रहे। इस दौरान चर्चा में डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्ध ने बताया कि नैक की मान्यता प्रक्रिया में व्यापक बदलाव डॉ. राधाकृष्णन कमिटी की अनुशंसा के आधार पर किया जा रहा है। इसमें उन्होंने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की भी जानकारी देते हुए कहा कि क्वालिटी प्रोसेस से आती है। उन्होंने प्रोग्राम आउटकम को कोर्स आउटकम से जोड़ने की बात कही। आगे बताया कि रैंकिंग के लिए भारत में नए प्रयोग के तौर पर स्टेक होल्डर क्राउड सोर्स वैलिडेशन किया जाएगा जिसमें एआई बेस्ड टूल्स के माध्यम से विश्वविद्यालय की रिलायबिलिटी और क्रेडिबिलिटी को परखा जाएगा।
कार्यक्रम में आईसेक्ट लर्न द्वारा प्रकाशित “एनईपी लीप” पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता केंद्र (एनसीएसडीई) शैक्षणिक संस्थानों में एनईपी कार्यान्वयन के लिए वन स्टॉप समाधान एनईपी-लीप (राष्ट्रीय शिक्षा नीति और लर्निंग एंड एम्प्लॉयबिलिटी एक्सेलेरेशन पार्टनरशिप) प्रदान करता है। यह आईसेक्ट द्वारा समर्थित ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म है। एनईपी-लीप का लक्ष्य ऐसे पाठ्यक्रम को विकसित करना है जो आईसेक्ट लर्न के सहयोग से क्रेडिट-आधारित पाठ्यक्रमों को एकीकृत करता है और एनईपी मानकों के अनुरूप हैं। इसके माध्यम से छात्र एनईपी और एनएसक्यूएफ के अनुरूप अपेक्षित कौशल में महारत हासिल करते हैं, जो उन्हें उद्योगजगत में नौकरी की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। इसके अतिरिक्तवे समर्पित सॉफ्ट कौशल प्रशिक्षण और व्यक्तिगत प्लेसमेंट सहायता से लाभान्वित होते हैं, जिससे पेशेवर क्षेत्र में एक सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित होता है।
इस दौरान कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति एवं शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्राचार्य, आईक्यूएसी के समन्वयक और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
Created On :   16 April 2024 1:12 PM GMT