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अकोला: अतिवृष्टि से फसल नुकसान के मुआवजे का आज भी किसानों को बेसब्री से है इंतजार
- मुआवजे का आज भी इंतजार
- अक्टूबर 2023 में 164 करोड़ रूपए आर्थिक मदद की घोषणा की थी
- आर्थिक मदद कब मिलेगी, यह सवाल उठने लगा
डिजिटल डेस्क, अकोला। जिले में जुलाई माह के दौरान हुई अतिवृष्टि से फसलों का नुकसान हुआ था। जिसके मुआवजे का आज भी किसानों को बेसब्री से इंतजार है। पंचनामे के बाद शासन ने अतिवृष्टिग्रस्तों के लिए अक्टूबर 2023 में 164 करोड़ रूपए आर्थिक मदद की घोषणा की थी, लेकिन किसानों की सूची ऑनलाइन शासन की ओर से पेश नहीं हो पाई है। अभी भी सूची अपलोड करने का कार्य चल रहा है, जिससे किसानों को आर्थिक मदद कब मिलेगी, यह सवाल उठने लगा है। वर्ष 2023 के जुलाई माह में गिने-चुने दिन ही बारिश हुई, लेकिन 34 राजस्व मंडलों में अतिवृष्टि ने कहर बरपाया। इस कारण फसलों का भारी नुकसान हुआ। फल उत्पादकों की परेशानी भी बढ़ी।
शासन आदेश पर प्रशासन ने नुकसानग्रस्त क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। इसमें स्पष्ट हुआ कि जिले के 1 लाख 68 हजार 937 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों का नुकसान हुआ, जिसके आधार पर प्रशासन ने 164 करोड़ 14 लाख रूपए मदद का प्रस्ताव शासन की ओर भेजा गया। शासन ने भी अक्टूबर 2023 में प्रस्ताव को मंजूरी दी। मदद की घोषणा को महीनों बीतने के बाद भी मदद का वितरण किसानों को नहीं हो पाया है। इस बार शासन स्तर से ही किसानों के बैंक खातों में निधि डाला जाएगा, जिसके लिए पात्र किसानों की सूची शासन की वेबसाईट पर अपलोड करने के निर्देश थे, लेकिन तहसील स्तर पर अभी तक सूची अपलोड करने का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है।
तहसील में बड़े पैमाने पर की जाती है बुवाई, मजदूर न मिलने से सब्जी उत्पादक परेशान
उधर खामगांव तहसील में मजदूरों की कमी होने से सब्जि उत्पादक किसान परेशान हो गए हैं। अनेक किसान बाहरी जिलों से मजदूरों को अधिक पैसे देकर ला रहे हैं। तहसील के ग्राम पिंपलगांव राजा, अवार, अटाली, लाखनवाडा, बोरी अडगांव, टेंभूर्णा परिसर में सब्जियों की बुवाई बड़े पैमाने पर की जाती है। इस परिसर में सिंचाई प्रकल्प में कुएं का जलस्तर बढ़ा है। सब्जि की बुवाई के लिए खेत में प्रतिदिन मजदूरों की जरुरत होती है, लेकिन मजदूर न मिलने से किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिंपलगांव राजा परिसर में मिर्ची की बुवाई की गई।
आज की स्थिति में सभी और हरी, लाल मिर्ची तोड़ने के लिए तैयार खड़ी है, लेकिन दिन ब दिन खेती में मेहनत करने वाले मजदूरों की संख्या कम होने से खेती के काम को मजदूर नहीं मिल रहे हैं। जिस कारण मिर्ची की फसल को तोड़ने के लिए मजदूरों को खोजना पड़ रहा है। विगत साल मिर्ची को अच्छे दाम मिलने से इस साल बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हरी मिर्ची के दाम शुरुआत में 14 से 16 रुपए से मिलने से किसानों को मिर्ची तुड़वाना परेशानी भरी लग रहा है। जिस कारण मिचीं की लगात खर्चा भी नहीं निकल रहा। बाहर के जिले से ज्यादा पैसे देकर मजदूरों को लाना पड़ रहा है। जिस कारण आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। मिर्ची को बाजार में दाम अब अच्छे होने से जल्द से जल्द मिर्ची बाजार में विक्री के लिए लाने का प्रयास कर रहे है।
Created On :   10 Jan 2024 12:57 PM GMT