Cultural Heritage: सांस्कृतिक धरोहर की नई सुबह: दाइची का उद्यम

सांस्कृतिक धरोहर की नई सुबह: दाइची का उद्यम
गुड़िया ने उद्यमिता के अपने सपने को साकार करने के लिए सामाजिक बाधाओं को बहादुरी से पार किया और आज वह अपने समुदाय में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।

गुड़िया ने उद्यमिता के अपने सपने को साकार करने के लिए सामाजिक बाधाओं को बहादुरी से पार किया और आज वह अपने समुदाय में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। अनीशा बानो ने अचार बनाने की कला में महारत हासिल की है और अपने उत्पादों को दूर-दूर तक पहुँचाने में उन्हें बड़ी संतुष्टि मिलती है। 70 वर्षीय गंगोदी दीदी अभी भी काम के प्रति उत्साहित हैं और वह रोजाना जंगल के 10 किलोमीटर पार कर नमकीन फैक्ट्री में काम करने जाती हैं।

सुशीला रसायन मुक्त मसाले बनाकर अपनी कमाई से अकेले ही अपने बच्चों की देखभाल और घर का खर्च उठाती हैं।

इन असाधारण महिलाओं की समानता यह है कि उन्होंने चुनाव की ताकत को अपनाया है - एक निर्णय जो आर्थिक आजादी और सामूहिकता की मजबूत भावना से बढ़ा है। यह दाइची की गहराई है, एक ब्रांड जो सशक्तिकरण और बदलाव की दिशा में अग्रसर है।

राजस्थान के सोने जैसी धूप वाले खेत और जीवंत बाजार एक नए बदलाव के साक्षी बन रहे हैं। यहाँ, पुरानी परंपराओं और मिट्टी की कहानियों के बीच, महिला शिल्पकार अपनी आवाज़ को फिर से पा रही हैं। इस परिवर्तन की अगुवाई कर रहा है दाइची - एक ब्रांड जो न सिर्फ गाँव के स्वादों को उजागर कर रहा है बल्कि महिलाओं को सफल व्यवसायी बनने का रास्ता भी दिखा रहा है। यह दाइची की प्रेरणादायक यात्रा है - शक्ति, सशक्तिकरण और हमारे कारीगरों के सम्मान की कहानी।

एक ऐसे स्थान पर जहां महिलाओं की क्षमता को अक्सर अनदेखा किया गया, दाइची उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरी है। इसकी शुरुआत सखी से हुई, जो हिंदुस्तान जिंक की एक सीएसआर पहल है और जिसने 2016 से अब तक 30,000 से ज्यादा महिलाओं को सशक्त बनाया है। सखी के जरिए, महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आत्मविश्वास और एक मजबूत आवाज पाई, और वे अपने समुदायों में उद्यमी और नेता के रूप में उभरीं। इन समूहों ने 2018 में सखी उत्पादन समिति की स्थापना की, जो एक पूर्णतः महिला-स्वामित्व वाला उद्यम है। आज, सखी का ब्रांड दाइची, ग्रामीण भारत के मेहनती किसानों से सीधे प्राप्त, प्रीमियम और पौष्टिक, रसायन-मुक्त खाद्य पदार्थों की एक विस्तृत रेंज प्रदान करता है, जिन्हें बहुत प्यार और ध्यान से हाथ से बनाया जाता है।

रेखा बत्रा ने अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा कि “शुरुआत में, हमारे सामने बहुत सी चुनौतियाँ थीं। हम सिर्फ घर के कामों तक ही सीमित थे और खुलकर बोलने में हिचकिचाते थे। पर दिल में एक उम्मीद थी - अपना व्यापार खोलने की।

इसलिए हमने साथ आये और दाइची की नींव रखी। अब हम सशक्तिकरण के प्रतीक हैं और अपने समुदाय में दूसरों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हमने अपनी एक अलग पहचान बनाई है और हमारे परिवार भी हमारे काम की कद्र करने लगे हैं,”

पारंपरिक रूप से बनाए गए स्वादिष्ट अचार से लेकर प्यार से उगाए गए स्वस्थ दालों तक, शहद मधुमक्खी पालकों से सीधे लेकर खेत से प्राप्त मसालों तक जो सुगंध में समृद्ध हैं, दैची के खाद्य श्रेणी के हर उत्पाद में राजस्थान की समृद्ध खान-पान संस्कृति का सार समाहित है और हर एक उत्पाद इसके निर्माताओं की समर्पण, कठिन परिश्रम और जुनून को दर्शाता है।

अनुपम निधि, सीएसआर प्रमुख, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के अनुसार, “सखियों के संगठन और दाइयों के प्रशिक्षण के पश्चात, हमें यह ज्ञात हुआ कि इन महिलाओं को सचमुच एक बाज़ार की आवश्यकता है - एक ऐसा मंच जो ग्रामीण भारत और जागरूक उपभोक्ताओं के मध्य सीधा संपर्क स्थापित करे, जिससे ये उत्कृष्ट उत्पाद उन तक पहुंच सकें और प्रत्येक खरीदारी के साथ सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। यही वह तत्व है जो इन उद्यमों को दीर्घकालिक रूप से संजीवनी प्रदान करेगा और उनके विस्तार को सुनिश्चित करेगा। इसी उद्देश्य से हमने ‘हार्ट्स विथ फिंगर’ की शुरुआत की, जो भारतीय छोटे किसानों और शिल्पकारों के लिए एक अनन्य बाज़ार है।”

‘हार्ट्स विथ फिंगर’ एक ऐसा मिशन-चालित बाज़ार है जो सचेत जीवनशैली को बढ़ावा देता है। यहां हर एक उत्पाद अपने निर्माता की अदम्य इच्छाशक्ति, उत्साह और समर्पण की गाथा सुनाता है; वे निर्माता जिन्होंने अनगिनत चुनौतियों के बीच भी अपनी मंजिल को पाया है, और जो अपने साथ-साथ अपने परिवारों के लिए भी एक रोशन भविष्य की आशा रखते हैं।

उपभोक्ता के रूप में हमारी पसंद में महत्वपूर्ण शक्ति होती है। इन कारीगरों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को चुनना केवल उपभोग के बारे में नहीं है; यह आकांक्षाओं और अवसरों में एक निवेश है। ‘हार्ट्स विथ फिंगर’ हममें से प्रत्येक को ऐसा करने का सुनहरा मौका प्रदान करता है। हमें दाइची जैसे दुर्लभ ब्रांडों से जोड़कर, यह न केवल ग्रामीण भारत से सीधे प्राप्त प्रामाणिक, उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों का आनंद लेने का मौका प्रदान करता है, बल्कि मेहनती कारीगरों और किसानों को सशक्त बनाने और उनका जश्न मनाने का भी मौका देता है।

‘हार्ट्स विथ फिंगर’ के संस्थापक अमरीश मेहरोत्रा कहते है कि “यह आंदोलन एक उलटी क्रांति का रूप ले रहा है - एक ऐसा उत्सव जो छोटे उद्यमों, कुशल कारीगरों, मेहनती किसानों और न्यायसंगत व्यापारिक नीतियों की सराहना करता है।

यह एक ऐसी पहल है जो समानता और समावेश की मजबूत पैरवी करती है, जिसका प्रभाव भले ही सूक्ष्म हो, परंतु इसकी गहराई अत्यंत व्यापक है।”

गुड़िया, रेखा, अनीशा, सुशीला, और अन्य अनेक ग्रामीण महिलाओं की कहानियां लचीलापन, रचनात्मकता, और सशक्तिकरण की गूंज हैं। ये कहानियां हर अचार के जार, हर दाल के पैकेट, और हर घी और शहद की बूंद में छिपी हुई हैं।

जब हम ‘दाइची’ के उत्पादों के स्वाद और बनावट का आनंद लेते हैं, तो आइए उन हाथों का सम्मान करें जिन्होंने इन्हें बनाया है और उन कहानियों को संजोएं जो ये उत्पाद अपने साथ लेकर चलते हैं। ‘हार्ट्स विथ फिंगर’ जैसे मंच पर खरीदारी करके हम इस संवेदनशीलता को और भी मजबूत कर सकते हैं।

Created On :   3 May 2024 12:57 PM IST

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