अडानी के उत्थान से पूंजी कुछ ही हाथों में रहने की आशंका : फाइनेंसियल टाइम्स

With the rise of Adani, capital is expected to remain in few hands: Financial Times
अडानी के उत्थान से पूंजी कुछ ही हाथों में रहने की आशंका : फाइनेंसियल टाइम्स
अडानी के उत्थान से पूंजी कुछ ही हाथों में रहने की आशंका : फाइनेंसियल टाइम्स
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नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। फाइनेंसियल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि गौतम अडानी का बढ़ता व्यापारिक साम्राज्य आलोचनाओं का केंद्र बन गया है। कुछ लोग मानते हैं कि पूंजी भारत के मध्य वर्ग की कीमत पर कुछ ही कॉपोर्रेट घरानों में केंद्रित होती जा रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ लोग ये दलील देते हैं कि आथिर्क शक्ति कुछ परिवार संचालित कॉरपोरेट घरानों में होने से भारत के आर्थिक विकास को तेज गति मिल सकती है। जैसा कि दक्षिण कोरिया में हुआ। लेकिन आलोचकों का कहना है कि राज्य की संपत्ति कुछ ही हाथों में सिमित होने से एकाधिकार बढ़ रहा है और प्रतिस्पर्धा घट रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्या भारत में औद्योगिकीकरण 20 वीं सदी के अंत में अमेरिका जैसा हो जाएगा, जहां तेल के बड़े कारोबारी जैसे मैग्नेट जॉन डी. रॉकफेलर ने अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव छोड़ा, या 1990 के दशक के रूस की तरह हो जाएगा? अडानी की नए करार करने की भूख और राजनीतिक पहुंच ये बात सुनिश्चित करती है कि वो आगे एक केंद्रीय भूमिका निभाएंगे।

ऑस्ट्रेलिया में स्थित एक ऊर्जा विश्लेषक टिम बकले ने कहा, गौतम अडानी बहुत शक्तिशाली हैं, राजनीतिक रूप से बहुत अच्छी पहुंच रखते हैं और उस शक्ति का उपयोग करने में माहिर हैं। फाइनेन्सियल टाइम्स ने कहा कि अडानी ग्रुप ने इस लेख के लिए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

डेटालिक के आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर तक अडानी ग्रुप का कुल बकाया ऋण 30 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जिसमें 7.8 बिलियन डॉलर का बांड और 22.3 बिलियन डॉलर का ऋण शामिल है। इतना कर्ज कोई नई बात नहीं है, लेकिन अडानी समूह के तेजी से विस्तार ने इस पर चिंता बढ़ा दी है।

क्रेडिट सुइस ने 2015 के हाउस ऑफ डेट रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि अडानी समूह बैंकिंग क्षेत्र के 12 प्रतिशत कर्ज लेने वाली 10 कंपनियों में सबसे ज्यादा गंभीर तनाव में है। फिर भी अडानी समूह विदेशी बैंकों या संस्थानों से उधार लेकर हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के लिए धन जुटा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी को भारत और विदेश दोनों जगह पूंजी मिल जाती है और वह निवेशकों को बता सकता है कि उन्होंने कर्ज चुकाने में कभी देरी नहीं की ना ही डिफॉल्ट किया। अडानी समूह की कंपनियों ने 2 अरब डॉलर से अधिक की बॉन्ड बिक्री के साथ अंतरराष्ट्रीय ऋण बाजार का दोहन किया और अडानी गैस ने 600 मिलियन डॉलर की कुल बिकवाली के लिए 37.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची, जिससे उसे महामारी के झटके का सामना करने के लिए पर्याप्त नकदी मिली। अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस समूह अडानी के साथ साझेदारी करने के लिए कतार में हैं। इसी महीने की शुरूआत में, अडानी ने इतालवी गैस और बुनियादी ढांचा समूह सनम के साथ हाइड्रोजन और बायोगैस में रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की।

लेकिन कई लोग कहते हैं कि अडानी समूह अब इतना बड़ा हो गया है कि वो विफल नहीं हो सकता। बकले कहते हैं, वो पिछले 20 साल में भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों में से एक बन गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, वह जो छूते हैं वह सोने में बदल जाता है।

एसकेपी

Created On :   13 Nov 2020 3:00 PM IST

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