BUDGET 2019 : मोदी सरकार का अंतिम बजट, क्या हो सकता है खास, पढ़िए यहां
- अरुण जेटली के अस्वस्थ होने के चलते इस बार मंत्री पीयूष गोयल बजट पेश करेंगे।
- पीयूष गोयल को वित्त विभाग की अस्थाई तौर पर जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- लोकसभा चुनाव से पहले एक फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले एक फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी। अरुण जेटली के अस्वस्थ होने के चलते इस बार मंत्री पीयूष गोयल बजट पेश करेंगे। पीयूष गोयल को वित्त विभाग की अस्थाई तौर पर जिम्मेदारी दी गई है। चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी बजट होने के कारण इस बार सभी सेक्टरों को सरकार से काफी उम्मीदें है। वहीं लगातार बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच रेलवे ने भी इस बार वित्त मंत्रालय से अगले वित्तीय वर्ष के लिए 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता मांगी है। रेलवे इस रकम के जरिए न सिर्फ ट्रेक मेंटीनेंस पर फोकस करना चाहती है बल्कि सिग्नलिंग सिस्टम और अपने नेटवर्क के विस्तार पर भी आक्रामक तरीके से कार्य करना चाहती है। आइए डालते हैं नजर कि इस बार बजट में क्या कुछ खास रह सकता है।
इन्कम टैक्स पेयर्स, पेंशनर्स, किसानों पर फोकस
इस बजट में इन्कम टैक्स पेयर्स, पेंशनरों और किसानों को लेकर भी कुछ बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं। होम लोन को लेकर भी सरकार कुछ रियायत का ऐलान करे ऐसी भी उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा मिडल क्लास या नौकरी पेशा वर्ग को मोदी सरकार के इस आखिरी बजट से काफी उम्मीदें है जिसे मोदी सरकार पूरा करती दिखाई दे सकती है। विपक्ष ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को लगातार घेरा है ऐसे में संभव है कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले युवाओं को लुभाने के लिए बजट में किसी ठोस नीति का ऐलान करे।
शिक्षा बजट में हो सकता है इजाफ
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार सरकार शिक्षा बजट में इजाफा कर सकती है। शिक्षा क्षेत्र के लिए पिछले बजट में कुल 85 हजार 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। जिसमें 50 हजार करोड़ रुपए स्कूली शिक्षा और 35010 करोड़ रुपए उच्च शिक्षा के लिए खर्च करने का प्रावधान था। साल 2006 में केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण लागू करने से केंद्र सरकार ने 7 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान शिक्षा बजट में अतिरिक्त आर्थिक बोझ को वहन करने के लिए के लिए किया था। सरकार ने हाल ही में सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू की है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ता देने की बात कही है। ऐसे में सवर्ण आरक्षण और उच्च शिक्षा संस्थानों में सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ते लागू करने के कारण अतिरिक्त खर्चे को वहन करने के लिए शिक्षा बजट में बढ़ोतरी की संभावनाएं जताई जा रही है।
ऑटो इंडस्ट्री को उम्मीदें
इस बार के बजट से ऑटो इंडस्ट्री को भी काफी उम्मीदें है। ऑटो इंडस्ट्री को उम्मीद है कि उनकी कमर्शियल व्हीकल पर सीमा शुल्क 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने की मांग सरकार पूरा कर देगी। इसके अलावा सोसायटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने सुझाव दिया है कि सरकार को कारों और दोपहिया की पूर्ण निर्मित इकाइयों (सीबीयू) पर सीमा शुल्क में बदलाव नहीं करना चाहिए। फिलहाल, दोपहिया और कारों पर सीमा शुल्क 50 से 100 प्रतिशत के बीच है। लोहिया ऑटो इंडस्ट्री के सीईओ आयुष लोहिया ने इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन के लिए दस वर्षीय नीति की मांग की है। उन्होंने कहा कि फेम नीति के तहत प्रोत्साहन योजना में सभी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल होने चाहिए। प्रोत्साहन को केवल लीथियम बैटरी जैसी उन्नत बैटरियों तक सीमित नहीं करना चाहिए। नए बजट में दोपहिया और तीनपहिया वाहनों में लेड एसिड बैटरियों को शामिल किया जाए। बैटरी सहित सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिले।
कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर की उम्मीदें
उद्योग संगठनों का कहना है कि सरकार तैयार उत्पाद पर सीमा शुल्क बढ़ा दे, लेकिन इसके उपकरणों पर सीमा शुल्क घटना चाहिए, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। सिएमा के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा कि कंप्रेसर, ओपन सेल, डिस्प्ले पैनल जैसे उपकरणों पर दस फीसदी की जगह पांच फीसदी सीमा शुल्क लगना चाहिए।
रेलवे का सिग्नलिंग और मेंटीनेंस पर जोर
रेलवे को इस बार लग रहा है कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए उन्हें 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता दे दी जाएगी क्योंकि रेलमंत्री और वित्तमंत्री दोनों की भूमिका पीयूष गोयल निभा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस रकम का उपयोग रलवे सिग्नल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए करना चाहता है। इस सिग्नल सिस्टम की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि अगर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ानी है तो सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी है। मौजूदा सिग्नल सिस्टम उतना आधुनिक नहीं है, जितने की अभी जरूरत है। इसके अलावा रेलवे का जोर ट्रेक मेंटीनेंस पर भी है ताकि दुर्घटनाओं को न्यूनतम किया जा सके। इसके लिए रेलवे अत्याधुनिक मशीनें खरीदना चाहता है।
Created On :   27 Jan 2019 12:02 AM IST