जीएसटी परिषद की बैठक में कर बढ़ाने की संभावना नहीं

GST Council meeting unlikely to raise taxes
जीएसटी परिषद की बैठक में कर बढ़ाने की संभावना नहीं
जीएसटी परिषद की बैठक में कर बढ़ाने की संभावना नहीं

नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)। जीएसटी परिषद की जून के मध्य में होने वाली अगली बैठक में अप्रत्यक्ष कर ढांचे में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।

एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा कि केंद्र किसी भी वस्तु या सेवा पर कर की दरों में वृद्धि के पक्ष में नहीं है, क्योंकि यह खपत और मांग को और प्रभावित कर सकता है, जिस पर कोविड-19 महामारी और राष्ट्रव्यापी बंद का पहले से भी काफी असर देखने को मिल रहा है।

सूत्रों के अनुसार, यह उम्मीद की जा रही है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद राज्यों और केंद्र के लिए राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ गैर-आवश्यक वस्तुओं पर कर की दर और उपकर (सेस) बढ़ाने पर विचार कर सकती है। कई राज्यों को अप्रैल में जीएसटी संग्रह में कथित तौर पर 80 से 90 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा है। इसके लिए आधिकारिक डेटा अभी तक केंद्र द्वारा जारी नहीं किया गया है।

वित्त मंत्रालय के आधिकारिक सूत्र ने कहा कि समय की आवश्यकता खपत को बढ़ावा देने और मांग में सुधार करने की है। उन्होंने कहा कि दरों और राहत के मुद्दे पर निर्णय जीएसटी परिषद ही लेगी, जो अगले महीने बैठक करने वाली है।

जीएसटी परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। परिषद को उन राज्यों की अपेक्षाओं को भी संतुलित करना होगा, जिन्हें कोरोनावायरस फैलने के बाद बड़े राजस्व घाटे का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रव्यापी बंद के बाद से व्यवसायों में व्यापक पैमाने पर व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिसकी वजह से हाल के दिनों में जीएसटी के जरिए प्राप्त होने वाले राजस्व में भारी कमी देखी गई है।

राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान व्यवसायों पर वितरित प्रभाव पड़ा है, जिससे व्यापक पैमाने पर लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी है। इस मुद्दे पर अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को कोविड-19 के दौरान नौकरी के नुकसान के बारे में डेटा एकत्र करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय नौकरी छूटने व वेतन में कटौती पर लगातार नजर रख रही है।

भारत में चीनी निवेश पर प्रतिबंध लगाए जाने के सवाल पर अधिकारी ने स्पष्ट किया कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के माध्यम से चीन को प्रतिबंधित करने के लिए अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

सरकारी ऋण के मुद्रीकरण के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे को तब देखा जाएगा जब हम एक चरण या स्टेज पर पहुंचेंगे और अभी तक वह चरण नहीं आया है।

सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक पैकेज के मुद्दे पर अधिकारी ने कहा कि अन्य देशों के आर्थिक पैकेजों की तुलना नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि भारत की जरूरतें दूसरों से अलग हैं।

आधिकारिक सूत्र ने कहा, हम सुधारों पर अधिक जोर दे रहे हैं, जो अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए आवश्यक हैं। हमारे देश में इसकी अधिक आवश्यकता है।

Created On :   29 May 2020 8:31 PM IST

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