को-लिविंग स्पेस, हॉस्टल और पीजी, छात्रों के लिए क्या है बेहतर?
- देश भर में बढ़ती प्रवासी आबादी के साथ
- शेयर्ड लिविंग का कॉन्सेप्ट तेजी से बढ़ रहा है
- ऐसे आवास उच्च शिक्षा के लिए शहरों में जाने वाले छात्रों के लिए काफी अपयोगी हैं
- पहले केवल हॉस्टल
- पेइंग गेस्ट जैसे विकल्प थे
- लेकिन अब को-लिविंग स्पेस भी उपलब्ध है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर में बढ़ती प्रवासी आबादी के साथ, शेयर्ड लिविंग का कॉन्सेप्ट तेजी से बढ़ रहा है। इस तरह के आवास उन छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होते हैं, जो अपनी उच्च शिक्षा के लिए अलग-अलग शहरों में जाते हैं। हालांकि पहले छात्रों के पास हॉस्टल और पेइंग गेस्ट जैसे विकल्प मौजूद थे, लेकिन अब उनके पास मॉडर्न को-लिविंग स्पेस भी उपलब्ध है।
को-लिविंग स्पेस का कॉन्सेप्ट
को-लिविंग में छात्रों को कॉमन किचन, यूटिलिटी स्पेस, लाउंज एरिया और एक स्टेडी जोन दिया जाता है। इसके अलावा सभी के लिए अलग-अलग बेडरूम और बाथरूम की सुविधा भी रहती है। हाउसिंग का यह एक मॉडर्न फॉर्म है जिसमें छात्र सामान्य सुविधाओं को शेयर करते हुए एक कॉमन अपार्टमेंट या इमारत में रहते हैं। होटल के मुकाबले ऐसे आवास ज्यादा फ्लेक्सिबल, सस्ते और इंडिपेंडेंट होते हैं।
हॉस्टल-पीजी की तुलना में को-लिविंग स्पेस के फायदे
को-लिविंग स्पेस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि घर से दूर रहने पर किसी को भी अपने कंफर्ट के साथ समझौता नहीं करना पड़ता है। हालांकि को-लिविंग हॉस्टल और पीजी की तरह सस्ता नहीं है। यह थोड़ी अधिक लागत पर ज्यादा सुविधाए उपलब्ध कराता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हॉस्टल और पीजी मुख्य रूप से लॉजिंग और बोर्डिंग के लिए हैं, जबकि को-लिविंग एक एलिवेटेड लाईफ स्टाइल प्रदान करता है। इसमें बंदिशें भी काफी कम है।
को-लिविंग स्पेस फ्लेक्सिबल लीज पीरियड की सुविधा देते हैं। शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दो तरह की सुविधा इसमें छात्रों को मिल जाती है। कई को-लिविंग स्पेस में योग, फस्टिवल, फिल्में, स्पोर्ट टूर्नामेंट आदि जैसे आयोजन होते हैं। इसके अलावा, हॉस्टल और पीजी में कई तरह की बंदिशे होती है जो फ्लेक्सिबल वर्किंग टाईम में बाधा डालते हैं।
को-लिविंग सेटअप कैसे काम करता है?
को-लिविंग सेगमेंट में कंपनियां तीन से सात साल की अवधि के लिए भवन मालिकों से लीज पर प्रॉप्रिटी लेती हैं। छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप इंटीरियर में सुधार किया जाता है। वे प्रॉपर्टी मैनेजमेंट के लिए हाउसकीपिंग स्टाफ और सुरक्षा गार्ड भी रखते हैं। सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की ही होती है।
जो भी व्यक्ति को-लिविंग में रहना चाहते हैं उन्हें ऑपरेटरों के साथ अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना होता है। अग्रीमेंट में किराये की राशि से संबंधित विवरण, लीज की अवधि और किराए पर को-लिविंग स्पेस को लेने वाले व्यक्ति की पूरी जानकारी होती है। को-लिविंग ऑपरेटरों की जिम्मेदारियों में रखरखाव, सफाई, किराया इकट्ठा करना आदि शामिल हैं।
Created On :   18 July 2019 6:24 PM IST